tag:blogger.com,1999:blog-54437535374380334342024-03-18T04:55:17.036-07:00अभिव्यक्ति शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.comBlogger287125tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-83079023104468681062024-02-23T02:27:00.000-08:002024-02-23T02:27:07.412-08:00सुंदरता सुंदरता की दुकानें <div> हर गली -मौहल्ले में </div><div> चाहे महिलाएं हो या पुरुष </div><div> सभी के लिए </div><div> ब्यूटी पार्लर ......</div><div> लोग जब </div><div> इन दुकानों से </div><div> बाहर निकलते हैं </div><div> तो पहचानें नही जाते </div><div> बहुत ढूंढी पर </div><div> मन की सुंदरता की </div><div> कोई दुकान </div><div> मिली नहीं ...</div><div> </div><div> </div><div> </div><div><br></div><div><br></div><div> </div><div> </div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com20tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-8564731933863163572024-02-05T21:07:00.001-08:002024-02-05T21:07:08.847-08:00झगडा ....तीर ,कटार ,बरछी ,भाला <div> सभी आपस में झगड रहे थे </div><div> हम एक वार में किसी का भी </div><div> कर सकते हैं काम -तमाम </div><div> तभी दीवार पर टंगी बंदूक </div><div> इठला कर बोली ..</div><div> मुझ -सा दम किसी में नहीं ..</div><div> और शब्द .............</div><div> पीछे से ,बस ..</div><div> हौले -से मुस्कुरा दिए.....।</div><div><br></div><div>शुभा मेहता </div><div>6th January ,2024</div><div><br></div><div><br></div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com10tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-31657370097358879882023-12-23T04:05:00.001-08:002023-12-23T04:32:41.063-08:00पंखी ....सब कहते हैं <div>इन पंछियों से सीखो कुछ ..</div><div>कैसे कुछ दिन बाद ही ,</div><div>जब जान जाते हैं </div><div> कि हो गए सक्षम </div><div> दे देते हैं नन्हें बच्चों को </div><div> खुला आसमान ..</div><div> क्या पता है हमें </div><div> कि आते होगें </div><div> ये बच्चे कभी </div><div> मिलने ....</div><div> तो फिर हम क्यों </div><div> इतने तन्हा </div><div> इतने उदास </div><div> इंतजार करते </div><div> आने का उनके </div><div> सीखो ना ....</div><div> पंछियों से ...</div><div> क्या इनके पास दिल होता है </div><div> पता नही </div><div> हाँ ....इतना पता है </div><div> इनके पास फोन नहीं होता </div><div> इनके कान नहीं तरसते होंगे ना </div><div> फोन की घंटी सुनने को ...</div><div> शायद भूले हुए पंछियों का </div><div> फोन आ जाए ......</div><div><br></div><div>शुभा मेहता </div><div>22thDec ,2023</div><div> </div><div> </div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com22tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-32240139629084875652023-12-10T00:16:00.001-08:002023-12-10T00:16:55.688-08:00रूठना ....रूठने -मनाने के किस्से <div> बडे आम है.....</div><div> किसी का रूठना </div><div> किसी का मनाना </div><div> पर मैं .....</div><div> तो कभी रूठी ही नही </div><div> हालाँकि कई मौके आए </div><div> जीवन में .......</div><div> कि रूठा जा सकता था </div><div> पर , जानती थी कि </div><div> कोई मनाएगा नहीं </div><div> सारी उम्र बस </div><div> इसको उसको मनाती ही रही </div><div> लगी रही उधेडबुन में </div><div> उधडी ऊन से बुने </div><div> स्वेटर की गांठें पीछे </div><div> छुपाती रही ......।</div><div> </div><div><br></div><div>शुभा मेहता </div><div>10th ,Dec ,2023</div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com16tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-44042624030600093112023-12-08T07:21:00.001-08:002023-12-08T07:21:24.295-08:00मौसम का हाल आज का दिन <div>कैसा है ...?</div><div>यानि ,कैसा महसूस कर रहे हो आज ? </div><div>प्रसन्न या थोडे -से उदास </div><div>या फिर चिंतित..</div><div>या पता ही नहीं चल पा रहा कि </div><div> कैसे हैं आज ....? </div><div> चलो ...अपनी भावनाओं को </div><div> मौसम मान लो ...</div><div> फिर सोचो ......</div><div> सोकर उठे तो मौसम साफ,</div><div> मन शांत, प्रसन्न.....</div><div> पर एक घंटे बाद....</div><div> मौसम विभाग की सूचना...</div><div> भारी बरसात, तूफान...</div><div> हमारे मन के भाव भी </div><div> एकदम वैसे ही हैं..</div><div> हमेशा बदलते रहते हैं</div><div> मौसम की तरह.....</div><div> घना कोहरा ..</div><div> चिंता .....</div><div> गरजते बादल ...</div><div> गुस्से से तमतमाता चेहरा </div><div> फिर अचानक ....मन शांत </div><div> आकाश साफ......।</div><div><br></div><div> शुभा मेहता </div><div> 8th Dec ,2023</div><div><br></div><div> </div><div> </div><div><br></div><div><br></div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com10tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-41587215138379334382023-12-08T02:45:00.001-08:002023-12-08T02:45:54.219-08:00'Extra.....'(अतिरिक्त)ये extra शब्द <div> बडा दिल दुखाता है </div><div> बार-बार यह अहसास </div><div> करवाना कि हम extra हैं </div><div> किसी भी खेल में ,</div><div> या नृत्य स्पर्धा में </div><div> extra नृतक ...</div><div> पता होता है उन्हें कि </div><div> खेलना या प्रस्तुति देना </div><div> नहीं है उनकी नियती </div><div> पर सीखना और </div><div> मेहनत करना तो है न </div><div> या जो मुख्य कलाकार </div><div> या खिलाडी हैं </div><div> उनका हर पल ध्यान रखना </div><div> कभी-कभार स्वार्थवश </div><div> ये सोच भी आती है </div><div> शायद किसी को चोट लग जाए </div><div> तो नंबर मेरा आ जाए </div><div> कोई न कोई आस लिए </div><div> ये extra अपना काम </div><div> किए जाते हैं......</div><div><br></div><div>शुभा मेहता </div><div>8th Dec 2023</div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div> </div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com12tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-87525682488323992932023-12-07T07:42:00.001-08:002023-12-07T08:02:23.708-08:00बालपन की सोच'बेचारा दिल क्या करे ' बहुत दिनों के बाद ये गाना सुना <div>अचानक दिमाग बचपन की ओर चला गया ...बेचारा शब्द सुनकर ...........</div><div>और मैं अतीत के पन्ने पलटने लगी । कभी कभी बचपन में किसी भी शब्द का अर्थ हम अपनी समझ के अनुसार या फिर किसी से सुनकर दिमाग में बैठा लेते हैं और बचपन में दिमाग में बैठी बात ,बहुत गहरी होती है ।</div><div> बात बहुत पुरानी है , पाँचवी कक्षा में थी ..हमारी एक शिक्षिका जब भी बच्चों को डाँट लगाती ..'बेचारी'शब्द का उपयोग करती ,तब लगता कि किसी को गुस्से से डांटना हो तो इस 'बेचारी'शब्द का उपयोग किया जाता है । </div><div> तो मैं भी कभी -कभार इस शब्द का उपयोग कर लेती ।</div><div> मगर बात तब बिगडी जब एक बार मेरी सहेली से झगडा हुआ तब मैंनें उसे बेचारी कहा ...फिर क्या था उसका गुट अलग .......तीन -चार लडकियाँ जोर जोर से मुझसे झगड़ने लगी .."तेरी हिम्मत कैसे हुई इसे बेचारी कहने की ...इसके माँ,-बाप दोनों हैं उनके हिसाब से बेचारी का मतलब अनाथ </div><div>होता था ,जबकि मुझे उस समय ये पता नहीं था ...।</div><div>मेरा मन तो अब भी स्वीकारनें को तैयार नहीं था ये अर्थ ।</div><div>पर अब क्या ..इस बात पर हमारी दोस्ती टूट गई ..मैंने बहुत समझाया ,पर वो समझी नही ..।</div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-33081474812730699352023-08-23T07:31:00.001-07:002023-08-23T07:31:40.516-07:00पाती<div>मेरे लिए वो महज </div><div>कागज का टुकडा नहीं था </div><div> दिल निकाल कर रख दिया था मानों </div><div> एक -एक शब्द प्रेम रस में पग़ा था</div><div> प्रेम की ही स्याही थी </div><div> कलम भी प्रेम की...</div><div> शब्दों को प्रेम रस में </div><div> डुबो -डुबो कर </div><div> बड़े जतन से </div><div> उस कागज पर </div><div> सजाया था </div><div> पता नहीं </div><div> तुमने पढा भी </div><div> या नहीं </div><div> या उडा दिया </div><div> चिंदी-चिंदी </div><div> हवा का रुख </div><div> जिधर था ......</div><div><br></div><div>शुभा मेहता </div><div>23rd Aug ,2023</div><div> </div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com22tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-54414978977025169732023-07-24T03:51:00.006-07:002023-07-26T04:51:52.299-07:00कमला जी<div>कमला जी ....लघुकथा</div><div><br></div><div>कमला जी सब काम निपटा कर थोडी देर के लिए बैठी ही थी कि आवाज आई, अरे भई थोडी चाय तो बना दो सुबह से बस बैठी ही रहती हो कुछ काम धाम तो है नहीं....कमला जी के लिए तो ये रोज का था ..सोच रही थी कि सुबह से चक्करघिन्नी की तरह से इधर से उधर नाचती रहती हैं ये काम वो काम ...और सुनने को तो यही मिलता कि तुम्हे काम ही क्या है ?</div><div>सच में उन्हें बहुत बुरा लगता था । पर चुप रहती ...लेकिन आजकल जब भी वो पढती कि अपने आप से प्यार करो ,अपना ध्यान खुद रखो तब सोच में पड जाती कि आखिरी बार कब उन्होने अपनी पसंद से कुछ किया था ,कभी अपनी पसंद की सब्जी बनाई या अपनी मरजी से कहीं घूमनें गई....</div><div>कितना पसंद था उन्हे घूमना -फिरना ,पेंटिंग तो वो इतनी अच्छी करती थी कि बस ..सालों बीत गए रंग और कूची हाथ में लिए जिदंगी के सारे रंग मानों कहीं खो गए है ....घर में कभी किसी नें पूछा भी नही कि कमला तुम्हारे क्या शौक हैं ..सब अपनें में ही मगन उनका वजूद तो बस सिमट कर रह गया था ।</div><div>सोचा बस अब मैं भी अपनें लिए जियूंगी कुछ पल अपनें लिए </div><div>भी निकालूंगी ...</div><div>कमला जी उठीं ...रसोई में जाकर अपनी पसंद की अदरक वाली चाय बनाई ...आराम से बैठ कर पी ।फिर अच्छे से तैयार होकर बाजार की ओर चल दी ,रंग और कूचियां लेने ....</div><div> घर वाले हैरानी से उन्हें देख रहे थे ।</div><div><br></div><div>शुभा मेहता</div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-3473754268964508982023-06-24T05:15:00.001-07:002023-06-24T05:15:42.962-07:00वाह रे मानव ...प्रकृति नें कितने ,<div>खूबसूरत रंगों से भरा है </div><div>इस दुनियाँ को </div><div>नीला आकाश ,नीला सागर </div><div> हरी-हरी घास</div><div> रंग-बिरंगी सब्जियाँ </div><div> फूल और फल </div><div> खूबसूरत वृक्ष</div><div> तरह-तरह की वनस्पतियाँ</div><div> क्या नहीं दिया उसने </div><div> ये नदियाँ ,ये पहाड़</div><div> और बदले में हमनें क्या किया </div><div> सभी का रंग बिगाड़ कर रख दिया </div><div> आकाश प्रदूषित, नदियाँ ,सागर प्रदूषित </div><div> और तो और फल ,सब्जियों को भी </div><div> रासायनिक बना कर छोड़ दिया </div><div> इतना स्वार्थी कैसे हो गया </div><div> रे मानव तू .....।</div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com18tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-34883088042482063982023-06-16T23:28:00.001-07:002023-06-16T23:28:18.207-07:00मायानगरी ...छोड़-छाड़ के नगर पुराना <div>हम तो आ गए भैया </div><div> नए नगर को </div><div> कहते लोग जिसे हैं </div><div> मायानगरी .......</div><div> जहाँ हर तरफ है अफरातफरी </div><div> गगनचुम्बी इमारतें ..</div><div> किया हमनें भी वहीं बसेरा </div><div> अच्छा लग रहा है ..</div><div> हाँ , याद तो आती है </div><div> पुराने शहर की </div><div> पर ठीक है </div><div> जीवन में आना जाना </div><div> लगा रहता है </div><div> नई नगरिया </div><div> नई डगरिया</div><div> बस अच्छे से गुजर जाए...</div><div> </div><div>शुभा मेहता</div><div><br></div><div> </div><div> </div><div> </div><div><br></div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-53247241277472501232023-03-12T07:23:00.001-07:002023-03-12T07:23:01.080-07:00उम्र उम्रदराज लोग <div>अक्सर भूल जाया करते है </div><div>कभी कुछ ,कभी कुछ </div><div>अब मुझको ही ले लो </div><div> बासठ पार हो गए </div><div> त्रेसठवां सरक रहा है </div><div> या यूँ कह लो कि चल रहा है </div><div> नहीं जी ,दौड़ ही रहा है </div><div> कब सुबह होती है ,कब शाम </div><div> पता ही नहीं चलता </div><div> व्यस्त रखती हूँ </div><div> अपने आप को </div><div> अपनी पसंद का काम करके </div><div> खाना बनाने से लेकर </div><div> संगीत के रियाज तक </div><div> फिर भी ...........</div><div> अक्सर कुछ न कुछ </div><div> भूल ही जाती हूँ </div><div> कभी किसी चीज को रखकर </div><div> कभी किसी का नाम ही .....</div><div> चाहती यही हूँ कि</div><div> भूलूं तो जीवन के संघर्ष को ..</div><div> दिल दुखनें की बातें...</div><div> कुछ कडवी यादें ... </div><div> बस याद रहे ,</div><div> जीवन की मिठास </div><div> जी लेना है </div><div> उम्र के इन बोनस वर्षों को </div><div> बिन्दास........।</div><div>शुभा मेहता </div><div> 12th March,2023</div><div><br></div><div> </div><div> </div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com18tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-66149740323579842582023-03-02T21:45:00.001-08:002023-03-02T21:45:47.769-08:00होली (संस्मरण)सबसे पहले मेरे सभी ब्लॉगर मित्रों को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ 🌷🌷🌷🌷🌷<div><br></div><div> होली का पर्व आपसी प्रेम व सद्भाव बढाने का होता है ।कहते हैं इस दिन सब गिले शिकवे भूलकर एक दूसरे के साथ मिलकर रंग लगाते है और खुशियाँ मनाते हैं ।</div><div> मुझे भी मिलजुल कर होली खेलना अच्छा लगता था ....आप सोच रहे होंगे था से क्या मतलब ,अब अच्छा नहीं लगता क्या ?</div><div> बात कुछ पंद्रह साल पुरानी है ।जब हम गाँधी जी की नगरी पोरबंदर रहा करते थे । हमारी कॉलोनी में भी होली का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाते थे हम सब मिलकर । </div><div> सब लोग मस्ती में रंग और गुलाल से खेल रहे थे ...तभी किसी नें मेरे बालों में बहुत सारा रंग डाल दिया और कुछ क्षणों के बाद ही मुझे तीव्र जलन महसूस होनें लगी ...मानों किसी नें मिर्च का पाउडर डाल दिया हो ..कुछ देर में वो जलन असहनीय हो गई ,मैं जल्दी से घर की ओर भागी ..।</div><div> बालों को सीधा ठंडे पानी के नीचे रखा ...बहुत धोया पर जलन कम नही हुई ...तभी मेरे बाल जडों से हाथ में आने लगे ..इतने सारे .....मैं तो जोर -जोर से रोने लगी ..।(उस समय बहुत लम्बे बाल थे ) </div><div> घर वाले ढाढस बंधा रहे थे ,मैं रोए जा रही थी ।</div><div> बाल बहुत निकल चुके थे । </div><div> किससे कहते और क्या ? सभी अपनें ही थे ...।</div><div> अभी भी उसका असर है ,दिल और दिमाग पर ....।</div><div> अब मन नहीं करता होली खेलने का ।</div><div> बाद में पता लगा कि उनमें से एक फैक्ट्री में केमिस्ट था ..।</div><div> शुभा मेहता </div><div>3rd March ,2023</div><div> </div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com21tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-25250287853275423232023-02-10T21:27:00.001-08:002023-02-10T21:27:18.092-08:00पैसा<div>पैसा हाथ का मैल है ,</div><div>ऐसा कहते हैं लोग ,</div><div> अरे जनाब.....</div><div> किस दुनियाँ में</div><div> जी रहे हैं आप</div><div> यहाँ तो हाथ में ,</div><div> पैसा न हो अगर </div><div> लोग हाथ मिलाना ही </div><div> देते हैं छोड़.....</div><div><br></div><div> शुभा मेहता </div><div> 11th ,Feb, 2023</div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-65436021039359425662023-01-12T20:55:00.001-08:002023-01-12T20:55:27.101-08:00पतंग मेरे सभी ब्लॉगर मित्रों को मकर संक्रांति पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ 🌷🌷🌷🌷🌷<div> यहाँ तो यह पर्व पतंग पर्व ही है ,सारा आसमान रंग -बिरंगी पतंगों से सजा हुआ दिखाई देता है । ये कागज की पतंग हमें बहुत कुछ सिखा देती है ......</div><div><br></div><div> पतंग सिखाती है ........</div><div> जितने हल्के रहोगे </div><div> उड़ान उतनी ही ऊंची होगी </div><div> जिंदगी में हमेशा </div><div> जमीन से जुड़े रहो </div><div> चाहे जितना ऊपर जाओ </div><div> पैर जमीन पर ही रखो </div><div> हवा का रुख पहचानों </div><div> डोर अपनी मजबूत रखो </div><div> सबको लेकर साथ चलो ।</div><div><br></div><div><br></div><div>शुभा मेहता </div><div> 13th January, 2023<br><div><br></div><div> </div></div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-39715178712322185182023-01-07T07:50:00.001-08:002023-01-07T07:50:09.153-08:00दिल का दर्द कल एक वृद्धाश्रम में अपनी सखी के साथ जानें का अवसर मिला । वहाँ जाकर मन बहुत दुखी -सा हो गया ।<div>कुछ बगीचे में धूप सेक रही थी ,कुछ सीढियों पर बैठी थी ।</div><div> सभी की आंखें रीती -सी थी । कुछ के हाथ में फोन था , किसी का भी फोन बजता तो वे झट अपनें फोन की ओर आशा भरी नजरों से देखने लगती ...इंतजार करती हुई किसी अपने के फोन का .....।</div><div>उनकी आंखों में जो मैंने पढ़ा अभिव्यक्त करनें की कोशिश की है .........</div><div> अचानक फोन बजा </div><div> उनकी नजर झट </div><div> उधर दौडी ..</div><div> कहाँ बजा ....</div><div> धीरे -से फुसफुसाई.....</div><div> मेरा तो फोन कोमा में है </div><div> नहीं बजता ..</div><div> न किसी का आता है </div><div> अब तो मुझे भी डर लगता है </div><div> अगर फोन कोमा से बाहर भी निकला </div><div> और बजा ....उठाऊंगी नही </div><div> अब और काम भी क्या होगा </div><div> मेरा सब कुछ छीन कर .</div><div> यहां पहुँचा दिया </div><div> अब कुछ बचा ही नही है ।</div><div><br></div><div> शुभा मेहता </div><div> 7th January ,2023</div><div><br></div><div> </div><div><br></div><div> </div><div><br></div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-42756675692565764772022-12-30T22:19:00.000-08:002022-12-30T22:19:41.933-08:00कैसे हो ...<div>कैसे हो .....</div><div><br></div><div>मेरे ब्लॉगर परिवार को नववर्ष की हार्दिक बधाई...🌷🌷🌷🌷</div><div> आज वर्ष का अंतिम दिन आ गया है ,सोचा अपने मित्रों के साथ एक सुंदर रचना सांझा करूं जो मुझे बहुत पसंद आई, आशा है आप सभी को पसंद आएगी ...सकारात्मक जीवन जीने की प्रेरणा देती हुई ये गुजराती कविता ,जिसका हिंदी अनुवाद ,या फिर यूं कह सकते हैं कि मेरे शब्दों में प्रस्तुत कर रही हूं ............कवि हैं श्री ध्रुव भट्ट जी ।</div><div><br></div><div><br></div><div>अचानक जब कोई </div><div>रास्ते में मिल जाता है </div><div> और पूछता है ..</div><div> कैसे हो .....?</div><div> तो मैं कहती हूं</div><div> कि जैसे समुद्र की मौजें </div><div> हमेशा मौज -मस्ती में रहती हैं </div><div> मैं भी वैसी ही हूँ ..मस्त ..</div><div> और ऊपर से कुदरत की दया है । </div><div> मेरी जेब भले ही फटी हुई है </div><div> पर उस जेब के कौने में </div><div> छलकती -महकती खुशी को रखा है </div><div> अकेली भी खडी होती हूँ </div><div> तो भी लगता है जैसे मेले में खडी हूँ </div><div> मेरे दिल की जो छोटी सी पिटारी है </div><div> जिसमें ताला नहीं लगा सकते </div><div> फिर भी खुशी का खजाना </div><div> सुरक्षित है ..।</div><div> जीवन में खुशी और दुख तो </div><div> आते -जाते रहते हैं </div><div> पर समुद्र कहाँ परवाह करता है </div><div> आती -जाती मौजों का </div><div> सूरज रोज उगता है ,अस्त होता है </div><div> पर मेरे सिर पर आकाश </div><div> हमेशा ही रहता है ..।</div><div> </div><div><br></div><div><br></div><div><br></div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com21tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-60117952104205490042022-12-16T18:15:00.002-08:002023-04-23T01:36:21.248-07:00कैसी कट रही है जिंदगी ?कैसी कट रही है जिंदगी ?<div>हां ,कट ही रही है </div><div> ककडी, गाजर ,प्याज ,मूली के सलाद सी </div><div> कभी ककडी कडवी सी निकल जाती है </div><div> कभी जिंदगी मूली -सी चरपरी हो जाती है </div><div> कभी गाजर -सी मीठी </div><div> कभी-कभी प्याज के आँसू दे जाती </div><div> यही तो है जिंदगी ...।</div><div> शुभा मेहता </div><div><br></div><div> 23April,2023</div><div> </div><div> </div><div> </div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-17034632788809413282022-11-17T08:07:00.001-08:002022-11-17T08:07:13.634-08:00सुर सु.......सुर से जीवन <div>जीवन से सुर </div><div>नाद ब्रम्ह ओंकार सुर </div><div> सुर की महिमा </div><div> क्या गाऊं मैं..</div><div> नदियों की कलकल में सुर </div><div> पंछी की चहक में सुर </div><div> भौंरे की गुंजन में सुर </div><div> वर्षा की बूंदों में सुर </div><div> जब लगता है 'गीत 'शब्द में </div><div> सम उपसर्ग .....</div><div> तब बनता है संगीत </div><div> सात सुरों का संगम </div><div> शुद्ध-विकृत मिल होते बारह </div><div> श्रुतियां होती हैं बाईस </div><div> स्वर और श्रुति में भेद है इतना </div><div> जितना कुण्डली और सर्प में </div><div> स्वर बनते नियमित आंदोलन से </div><div> होते मधुर ,करते प्रसन्नचित </div><div> सुर से जीवन, जीवन से सुर ।</div><div><br></div><div> शुभा मेहता</div><div> 17th,November 2022</div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com13tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-58795354668827159592022-11-15T09:02:00.000-08:002022-11-15T09:02:04.510-08:00किताब किताबें ,सबसे अच्छी दोस्त हमारी ... <div> मैंने जैसे ही इक सुन्दर से कवरवाली किताब खोली </div><div> तो ..जैसे मैं तो उसमें खो ही गई </div><div> शायद ही कोई ढूँढ पाएगा मुझे </div><div> मेरी कुर्सी ,मेरा घर, </div><div> मेरा गद्दा ,मेरी चादर, </div><div>मेरा गाँव.....सब पीछे छूट गया </div><div> रानी के साथ घूमी ,</div><div> राजकुमारी के साथ खेली </div><div> मछलियों के साथ समुद्र की यात्रा की </div><div> कुछ दोस्त भी बने </div><div> जिनका दुख -सुख मैंने बांटा </div><div> जैसे ही किताब खत्म करके बाहर आई </div><div> वो ही कुर्सी ,वो ही घर ...</div><div> पर मन के अंदर रह गई </div><div> सुनहरी यादें......</div><div><br></div><div>शुभा मेहता </div><div> 15th November ,2022<br><div><br></div></div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-36852513332158178992022-11-08T03:41:00.000-08:002022-11-08T03:41:58.030-08:00पतवार मैं पतवार हूँ <div>मैं पतवार हूँ </div><div> अपनी नैया की </div><div>खुद खेवनहार हूँ </div><div> आँधी -तूफाँ में </div><div>डटी रहूँ ....</div><div> लहरों के जोर से </div><div> कभी न झुकूं</div><div> नैया चाहे हिचकोले खाए </div><div> मगरमच्छ गर सामने आए </div><div> सक्षम हूँ इतनी </div><div> रखती हूँ अटल इरादे </div><div> कोई कितना भी जोर लगाए </div><div> नैया को मेरी गिरा न पाए </div><div> मैं पतवार हूँ ,</div><div> अपनी नैया की </div><div> खुद खेवनहार हूँ। </div><div><br></div><div> शुभा मेहता </div><div> 8th Nov ,2022</div><div> </div><div> </div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-28648551888308215302022-11-06T07:18:00.000-08:002022-11-06T07:18:36.603-08:00सजगता ..(Mindfullness)अक्सर हम काम करते समय सजग नही रह पाते । काम कुछ कर रहे होते हैं ,ध्यान कहीं और ही होता है और ऐसे में काम ठीक से नहीं हो पाते । <div> आज में बात करना चाहती हूँ कि किस प्रकार हम स्वयं के साथ साथ अपने छोटे-छोटे बच्चों को भी सजगता के साथ जीने का पाठ पढा सकते हैं ।</div><div> "सजगता "आखिर है क्या ?और सजग रहना जरूरी क्यों है? सजगता का सरल अर्थ है वर्तमान में रहना ।जो काम हम कर रहे हैं उसे तल्लीनता के साथ करना ,हर एक क्षण को पूरी तरह जीना ।</div><div> जो लोग हर काम सजगता के साथ करते हैं वो अधिक जागरूक होते हैं । हमें बचपन से ही बच्चो में सजगता के बीज बोने चाहिए ।आजकल अधिकांश बच्चे टी .वी . देखते हुए खाना खाते हैं,पढ़ाई के समय भी उनका ध्यान वहीं लगा रहता है । इसका असर उनकी पढाई और स्वास्थ्य पर भी पडता है ।</div><div>लेकिन हर व्यक्ति ,खासकर बच्चों में इतनी क्षमता होती है कि वो सजग होकर काम कर सकते है ,बस जरूरत है थोड़े से प्रयास की ......</div><div>पहला कदम सजगता की ओर ..........</div><div> सबसे पहले दैनिक कार्य सजगता से करना शुरु करें ।बच्चों में शुरु से ही इस बीज को बोना प्रारंभ करें ।छोटी -छोटी बातें जैसे चलना ,खेलना ,खाना सब सजगता के साथ करना सिखाएं ..आगे चलकर सफलता अवश्य मिलेगी ।</div><div>ध्यान रहे कि बच्चों पर इन बातों का दबाव न बनें । सरलता और समझदारी के साथ सिखाएं ।</div><div> महत्वपूर्ण बात यह है कि हम स्वयं भी इन आदतों को अपनाए और सफलता की सीढी चढते जाएं।</div><div>धन्यवाद 🙏</div><div>शुभा मेहता </div><div> 6th Nov ,2022</div><div><br><div> </div></div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-42731482798522669152022-09-16T00:03:00.001-07:002022-09-16T00:03:30.489-07:00मैं ...हिंदी .<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>मैं ..हिन्दी ...</div><div><br></div><div>कौन?????</div><div>इतना पूछकर </div><div>कुछ किशोरों का दल </div><div>पुनः व्यस्त हुआ बातों में </div><div>और मैं ..चुपचाप खडी </div><div>डूब गई उनकी बातों में ।</div><div>अपने ही देश में </div><div> हाल देख अपना </div><div> रोना -सा आ गया </div><div> कुछ शब्द मेरे थे </div><div> कुछ अजनबी से थे </div><div> लगा जैसे शब्दों कई खिचड़ी -सी </div><div> पक रही हो ..।</div><div> अरे ,मेरा तो सौंदर्य ही खत्म हो गया </div><div> कितनी सभ्य, अलंकारों से सजी थी </div><div> क्या हाल बना दिया ।</div><div> मेरी यही कामना है ..</div><div> प्रार्थना है ....</div><div> निज देश में मान दो ,</div><div> सम्मान दो ...</div><div> बनाओ मुझे ताकत अपनी </div><div> मैं तो आपके मन की भाषा हूँ </div><div> प्रेम की भाषा हूँ </div><div> क्या दोगे अपना प्रेम ?</div><div><br></div><div>शुभा मेहता </div><div><br></div><div>15th September ,2022</div><div><br></div><div> </div><div><br></div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-63973876297432209802022-07-13T03:40:00.001-07:002022-07-13T03:40:04.220-07:00पीले पत्ते (लघुकथा)ओफ्फो ....ये पीले-पीले पत्ते पौधों की सारी सुंदरता खराब कर देते हैं ।कितनी बार कहा है माली से जैसे ही पत्ते थोडे पीले होने लगे इन्हें हटा दिया करो । मैं ही निकाल देती हूँ इन्हें ।और उसने चुन चुन कर पीले पत्तों को नीचे गिराना शुरु कर दिया । <div> एक -दो पीले पत्ते उदास हो रोने लगे ।तभी उनमें से एक ने कहा उदास क्यों होते हो ..पीले हुए हैं अभी सूखे नही ..सूखने से पहले जितना समय बचा है क्यों न हँसी -खुशी बिताएँ । सभी पीले पत्तों ने घेरा बनाया और नाचने गाने लगे ,हँसने ,गुनगुनाने लगे ..साथ -साथ रह कर साथ निभाने लगे ।अब कोई ना उदास था ना पीले होने का गम ..।</div><div><br></div><div><br></div><div>शुभा मेहता </div><div>13July ,2022<br><div><br></div><div><br></div></div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com26tag:blogger.com,1999:blog-5443753537438033434.post-80027117835356013122022-05-18T22:43:00.001-07:002022-05-18T22:43:38.581-07:00कुछ अनकहा ...कुछ अनकहा सा ...<div> रह जाता है </div><div> जिंदगी यूँ ही </div><div> गुज़रती जाती है </div><div> उस अनकहे की टीस </div><div> सदा उठती रहती है </div><div> क्यों रह जाता है </div><div> कुछ अनकहा ...</div><div> काश , कह दिया होता </div><div> ये टीस तो न उठती </div><div> जो होता देखा जाता </div><div> ये दर्द तो ना मिलता </div><div> शायद मिला ही नहीं </div><div> कोई हमज़ुबाँ ..</div><div> या कभी सोचा ही नहीं</div><div> कि कह डालें .....</div><div> ये अनकहा ....</div><div> अब कहाँ......</div><div> शायद ...साथ ही </div><div> ले जाएँगे ये अनकहा .....।</div><div><br></div><div> शुभा मेहता </div><div> 19th May ,2022</div>शुभा http://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.com36