उड़ चल रे मन ,
कर ले उन सपनों को पूरा ,
बुने थे जो तूने कभी ।
मत देख आसमाँ को ,
बंद कमरे की खिड़की से ,
चल, बाहर निकल और
देख खुले आसमाँ को
तोड़ दे सीमाओं की जंजीरों को ,
चल निकल ,कर ले कुछ स्वपन तो पूरे ।
न लड़ इच्छाओं से , बस लड़ ले बाधाओं से
आगे बढ ,बढता चल ,बढता चल ।
Wednesday, 23 July 2014
मन
Tuesday, 22 July 2014
योगा वॉक
कहते हैं न कि चलना सबसे अच्छी कसरत है ।
आज मैं बात कर रही हूँ योगा-वॉक की । इस पद्धति के द्वारा न केवल शारीरिक अपितु मानसिक स्वस्थता भी प्राप्त की जा सकती है ।
शुरुआत तेज चलने से करें । फिर सोचें -
आज किस बात पर गुस्सा किया ,फिर उसे जमीन में दफना दो ,पैरों से कुचल दो । स्वयं को गुस्से से मुक्त कर दो ।
चलते समय अपने दुख को बाहर करें ।
कंधों को घुमाइये ,इससें कंघों की अकङन कम होगी ।
धरती मॉ को धन्यवाद दे ।
किसी को सकारात्मक वाक्य कहें ।
इससे खुशी, मानसिक शांति और एनर्जी मिलती है ।
अपने आप को अच्छा स्वस्थ्य दे ,अपने स्वस्थ्य के मालिक स्वयं बनें ।
Wednesday, 9 July 2014
लघु कथा
वह दर्द से कराह रही थी । हाथ में इतनी जलन थी कि सहन नहीं हो रही थी । रसोई में मॉ की मदद करते समय गरम पानी उसके हाथपर गिर गया था । दर्द के मारे उसकी चीख निकल गई ।मॉ ने आँख दिखाई "आवाज नहीं' । आंसूआँखों में ही रह गए । मॉ हर समय यही कहती ज्यादा बोलना नहीं, जोर से बोलना नही । अरे इतने दर्द में भी आवाज नही ।
वह समझ नहीं पाती अभी दस साल की ही तो थी । स्कूल में टीचर कहती कयों किसी बात का जवाब नहीं देतीं । उसे कुछ समझ नहीं आता कया करे ? आज टीचर ने मौलिक अधिकारो के बारे में बताया था । वह अपने कमरे में आकर पढनें लगी -स्वतंत्रता का अधिकार - हर नागरिक को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार ....... ।
आँसूउसके गालों पर लुढ़क रहे थे ।
....
Wednesday, 2 July 2014
शरीर में मनोभावों का संग्रह
कहते हैं न कि जैसा मन वैसा तन अर्थात शरीर और मन की स्वस्थता एक दूसरे पर निर्भर हैं ।जैसे हमारे विचार व भावनाएं होगी तदनुरूप ही हमारे शरीर का गठबंधन होगा । सकारात्मक विचार व भावनाएं शरीर को नरम और स्वस्थ बनाकर आकषर्ण प्रदान करते हैं जबकि नकारात्मक विचार और भावनाएं इसे संकुचित करके कठोरता प्रदान करते हैं ।
हमारे शरीर का हर एक अंग अलग-अलग विचारों और भावनाओं को प्रदर्शित करता है जैसे शरीर का आगे के भाग से क्रोध, आभार ,दुख, प्रेम,आनंद,इर्ष्याआदि भावों का प्रतिबिम्ब पड़ता है ।
हम जिन प्रश्नों को छुपाना चाहते है या उनका निवारण न चाहते हों ऐसी सभी भावनाओं का संग्रह शारीर के पिछले भाग में होता हैं ।
नाक सुगंध की पहचान करने वाले भावों को दर्शाता है ।इसका सीधा संबंध ह्रदय के साथ होता है ।
गरदन पर विचारों और भावनाओं का दबाव पडने से वह अकड जाती है ।
शरीर में रोग होने के मुख्य मानसिक कारण है -निंदा, गुस्सा, रोष आदि ।
जीवन में जो अच्छा है अथवा अशांति है दोनों ही हमारी मानसिक विचारधारा पर आधारित हैं । इसलिये हमें चाहिए कि नकारात्मक विचारों को छोड़कर नये विचारों को अपनाएं । और इस सकारात्मकता की सरल पद्धति को अपना कर स्वस्थ रहे ।