अभिव्यक्ति
Saturday, 2 August 2025
सेवानिवृति के बाद .....
›
एक उम्र गुजरने के बाद कोई खास काम नहीं , नौकरी भी पूरी हुई अब कोई रुटीन नही बस ,सन्नाटा -सा रहता है सोचती हूँ ,कौन हूँ मैं घर बनाया ,बग...
15 comments:
Wednesday, 9 July 2025
सही कहा ना....
›
दुनियाँ का सबसे सरल काम , दूसरों की गलतियाँ निकालना और सबसे कठिन काम अपनी गलती मानना ....। शुभा मेहता 19th ,July, 2025
16 comments:
Thursday, 12 June 2025
कौआ ,बालकनी और मैं
›
मुंबई शिफ्ट हुए मुझे दो साल होने को आए । यहाँ देखा कि चील ,कौए बहुत हैं ।सुबह-सुबह बालकनी से देखो तो बहुत सारे मंडराते नजर आ जाते थे । अभी ...
15 comments:
Thursday, 1 May 2025
फितरत
›
सच ही कहते हैं ..... हम इंसानों की बडी अजीब -सी फितरत है ........ जो होता है , संतोष नहीं जो नहीं है ,बस भागे चले जाते हैं उसके पीछे ....
15 comments:
Monday, 10 February 2025
बूढ़ा बचपन
›
झुकी कमर ,कांपते हाथ धुंधली आँखों के सौ सवाल खिलौनों की जगह छडी पकडता बूढ़ा बचपन मुस्कुराता हर हाल । कभी धूप में नंगे पाँव दौड़ा ...
12 comments:
Sunday, 6 October 2024
नेता जी का कुत्ता
›
नेता जी का कुत्ता अरे भूल हो गई .... कुत्ता नहीं ... " टौमी " नाम है उसका साथ में घूमता है गाडी में ...
13 comments:
Tuesday, 30 July 2024
बरतन (लघुकथा )
›
टोकरी में पड़े सारे बरतन जोर -जोर से चिल्ला रहे थे .. "ये इंसान भी ना ,क्या समझता है अपनें आप को ...जो भी गुस्सा हो ,जिससे भी गुस्सा ह...
15 comments:
›
Home
View web version