Tuesday, 25 June 2019

बारिश

बारिश की इक बूँद हूँ मैं
छोटी -सी ,नन्ही -सी
एक से एक जब मिल जाएँ
   घट भर जाए ......
    प्यास बुझाए ....
     मुझ बिन सूना
      सब संसार
      जतन करो ..
      जतन से ...।

     शुभा मेहता
     25 th June 2019

Tuesday, 11 June 2019

इंसानियत

इंसान ही मर चुका जब
कहाँ से आएगी इंसानियत ?
  हैवान बन गया वो
  हैवानियत ही हैवानियत ..
   गुड्डे -गुडि़या खेल -खिलौने
    खेलने थे जब ...
     नोंच -नोंच कर खा गए
      इंसान के खोल में
      गिद्ध ,चील ,कौवे
      कहाँ का इंसान
      और कहाँ की इंसानियत ।
     
    शुभा मेहता 12th,July 2019