सुर से जीवन
जीवन से सुर
नाद ब्रह्म ओंकार सुर
सुर की महिमा क्या गाऊँ मैं
पाऊँ सारी सृष्टि मेंं सुर
नदियों की कलकल मेंं सुर
पंछी की चीं-चीं मेंं सुर
भौंरे की गुंजन मेंं सुर
बर्षा की बूंदों मेंं सुर
मंदिर के घंटों मेंं सुर
बालक के हँसने मेंं सुर ..।
जब लगता है गीत शब्द मेंं
सम् उपसर्ग.....
बन जाता संगीत
सात सुरों का संगम है ये
शुद्ध -विकृत मिल बनते बारह
श्रुतियाँ हैं बाईस.....
स्वर और श्रुति मेंं भेद है इतना
जितना सर्प और कुंडली मेंं
जब फैले है सुरों का जादू
मन आनंदित हो जाता
सुर की महिमा क्या गाऊँ मैं
परम लोक ले जाए सुर ।
शुभा मेहता
25thSept. 2019