मेरा ये शहर
कभी गुलजा़र हुआ करता था
हर तरफ हुआ करती थी
ताजा हवा ...
जिसके झोंके से
मिलता था सुकून .
पेडों की शाखों पर
गाते थे पक्षी ..
आज देखो तो
बस धुआँ ही धुआँ
खाँसते लोग ...
प्रदूषण के मारे
बेहाल .......।
शुभा मेहता
26th Nov , 2019