छोड़ चले थे
अपने पदचिन्ह...
तय करते ल..म्बा सफर
पहुँच गए कितनी दूर
अपनी धरती ,अपना देश ,
अपना गाँव ,अपनी मिट्टी
अपनी रेत .....
सब कुछ छोड
अधिक पाने की लालसा में
निकल गए थे.दूर देस
पा लिया धन ,वैभव
भौतिक सुख -सुविधाएं
छूट गई ,अपनी मिट्टी ,अपनी रेत ।
आज,जब हालात
हो रहे हैं बद से बदतर ,
लौट जाना चाहते हैं
अपनेंं गाँव ,अपने घर ,अपने देश
अपनी मिट्टी ....,
सर चढाने को ..।
शुभा मेहता
22nd ,May ,2029