Friday, 29 April 2022

मजदूर (लघुकथा )

"पापा ये मजदूर कौन होते है "?नन्ही रानी नें अपने पापा से प्रश्न किया ।
बेटा, जो दिनभर मेहनत करते है ,मजदूरी करते हैं ।जैसे बोझा उठाना ,घरों में काम करना और भी बहुत से काम ।
वो देखो सामनें घर बन रहे हैं न ,देखो.... बहुत से लोग सिर पर ईँट ;पत्थर लिए इधर  से उधर जा रहे हैं वो सब मजदूर हैं।ये लोग दिनभर मेहनत करते हैं और पैसे कमाते है और अपना जीवन चलाते हैं।
 अच्छा .......इसका मतलब माँ भी मजदूर है वो भी दिनभर सबका काम करती है, डाँट भी खाती है ,पर उसे तो कभी पैसे नही मिलते ।
 वो अलग तरह की मजदूर है क्या ?

शुभा मेहता 
30th April ,2022

Friday, 22 April 2022

खुसर-पुसुर

किताबों से सजी अलमारी से खुसर -पुसुर की आवाज़ आ रही थी ......।
पहली...आज तो क्या बात है !दरवाजा खुला । सुबह-सुबह दरवाजे की चरमराहट से मेरी आँख ही खुल गई लगता है मानो सालों से सो रहे  हैं ।
दूसरी ...और क्या एक साल से तो बंद है दरवाजा ,कोई हमें पढता ही नहीं ....
  पहली ...अरे हाँ आज पुस्तक दिवस है न ..शायद आज हम पर जमी धूल झाड कर ,हमारे साथ फोटो लेगें और फिर सोशल मीडिया पर हेकड़ी जमाएगें कि देखो हमें पुस्तकों का कितना शौक है ।

   शुभा मेहता 
  23April ,2023

Thursday, 21 April 2022

धरती माँ

आओ ,आज सब मिलकर 
माँ ,धरती का सम्मान करें 
 आभारी हों ,दिल से ...
  भूल गए हैंं शायद .
  अपने स्वार्थ में हो गए हैं 
  इतने अंधे ...
   देखो ध्यान से इसकी सुंदरता को 
     बहते झरनों को ,नदियों को,
      फूलों को ,पेडों को 
      घास पर पडी उस एक ओस बूँद को 
       कितनी खूबसूरत है 
         मिट्टी की खुशबू 
          माँ को सजाएँ ....
         हरी -हरी चुनरी पहनाएँ
          देती आ रही सदियों से वो जो हमें
       आओ मिलकर कर्ज चुकाएँ ।

शुभा मेहता 
 21st April ,2022