अक्सर हम काम करते समय सजग नही रह पाते । काम कुछ कर रहे होते हैं ,ध्यान कहीं और ही होता है और ऐसे में काम ठीक से नहीं हो पाते ।
आज में बात करना चाहती हूँ कि किस प्रकार हम स्वयं के साथ साथ अपने छोटे-छोटे बच्चों को भी सजगता के साथ जीने का पाठ पढा सकते हैं ।
"सजगता "आखिर है क्या ?और सजग रहना जरूरी क्यों है? सजगता का सरल अर्थ है वर्तमान में रहना ।जो काम हम कर रहे हैं उसे तल्लीनता के साथ करना ,हर एक क्षण को पूरी तरह जीना ।
जो लोग हर काम सजगता के साथ करते हैं वो अधिक जागरूक होते हैं । हमें बचपन से ही बच्चो में सजगता के बीज बोने चाहिए ।आजकल अधिकांश बच्चे टी .वी . देखते हुए खाना खाते हैं,पढ़ाई के समय भी उनका ध्यान वहीं लगा रहता है । इसका असर उनकी पढाई और स्वास्थ्य पर भी पडता है ।
लेकिन हर व्यक्ति ,खासकर बच्चों में इतनी क्षमता होती है कि वो सजग होकर काम कर सकते है ,बस जरूरत है थोड़े से प्रयास की ......
पहला कदम सजगता की ओर ..........
सबसे पहले दैनिक कार्य सजगता से करना शुरु करें ।बच्चों में शुरु से ही इस बीज को बोना प्रारंभ करें ।छोटी -छोटी बातें जैसे चलना ,खेलना ,खाना सब सजगता के साथ करना सिखाएं ..आगे चलकर सफलता अवश्य मिलेगी ।
ध्यान रहे कि बच्चों पर इन बातों का दबाव न बनें । सरलता और समझदारी के साथ सिखाएं ।
महत्वपूर्ण बात यह है कि हम स्वयं भी इन आदतों को अपनाए और सफलता की सीढी चढते जाएं।
धन्यवाद 🙏
शुभा मेहता
6th Nov ,2022