जिस क्षण हो जाए ज्ञान ,
करने लगो जिस क्षण
स्वयं से बेपनाह
मुहब्बत ....
रखने लगो जब ,
अपना ख्याल .......
समझो उसी
क्षण हुआ है
तुम्हारा जनम
फिर चाहे कितने ही वर्ष
गुजार दिए हों ..
सबका ध्यान रखते हुए
अपने सपनों ,अपनी खुशियों का
बलिदान करके ....।
मना लेना जन्मदिन
उसी क्षण ....
हो अस्तित्व बोध जब ।
शुभा मेहता
8th April ,2021
सादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 09-04-2021) को
" वोल्गा से गंगा" (चर्चा अंक- 4031) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद.
…
"मीना भारद्वाज"
जी ,जरूर । बहुत बहुत धन्यवाद सखी मीना जी ।
Deleteआप ठीक कह रही हैं शुभा जी।
ReplyDeleteधन्यवाद जितेन्द्र जी ।
Deleteसुंदर !
ReplyDeleteधन्यवाद गगन जी ।
Deleteबहुत ही सुंदर लिखा है आपने।
ReplyDeleteधन्यवाद ।
Deleteवाह! पते की बात, शुभा जी। बहुत सुंदर।
ReplyDeleteधन्यवाद विश्वमोहन जी ।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार ९ अप्रैल २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत-बहुत धन्यवाद श्वेता ।
Deleteबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ।
Deleteजब जान लो कि तुम नहीं हो तुम बिन
ReplyDeleteउस दिन ही समझना कि तुम्हारा है जन्मदिन ।
वाह , बहुत सुंदर और गहन बात कही ।। बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
बहुत-बहुत धन्यवाद संगीता जी ।
Deleteसार्थक रचना।
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय ।
Deleteखुद को जान लिया तो सबको जान लिया, हम स्वयं से ही अनजाने रहते हैं और दूसरों को जानने का दम भरते हैं
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद अनीता जी ।
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ReplyDeleteधन्यवाद सखी ।
Deleteबहुत सुंदर और सार्थक संदेश पूर्ण रचना । जन्म दिन मनाने का निमंत्रण हृदय से स्वीकार है,आपको हार्दिक शुभकामनाएं एवम नमन ।
Deleteशुभाजी,कभी समय मिले तो मेरे गीत के ब्लॉग पर भी पधारें,आपको लोकगीत रुचिकर लगेंगे,आपके आगमन की आशा में जिज्ञासा ।
ReplyDeleteजी ,जरूर ।
Deleteबहुत सुन्दर कहा!
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ।
Deleteबहुत-बहुत धन्यवाद ।
Deleteबहुत-बहुत धन्यवाद ।
Deleteसत्य कहा आपने
ReplyDeleteबहुत -बहुत धन्यवाद ।
Deleteस्वयं के अस्तित्व का
ReplyDeleteजिस क्षण हो जाए ज्ञान ,
करने लगो जिस क्षण
स्वयं से बेपनाह
मुहब्बत ....
रखने लगो जब ,
अपना ख्याल .......
समझो उसी
क्षण हुआ है
तुम्हारा जनम
बहुत सटीक और सुंदर प्रस्तुति, शुभा दी।
धन्यवाद ज्योति ।
Deleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteधन्यवाद ओंकार जी ।
Deleteबहुत सुंदर लेखन...।बधाई...
ReplyDeleteधन्यवाद 🙏
Deleteबेहतरीन रचना सखी 👌
ReplyDeleteधन्यवाद सखी ।
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ReplyDeleteलाजवाब अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteधन्यवाद पम्मी जी ।
Deleteक्या बात है शुभा जी! अपने आप को पहचानना ही असली अस्तित्व बोध है। खूब बढिया लिखा आपने हार्दिक शुभकामनाएं और स्नेह 🌹🌹🙏🙏❤🌹🌹😃
ReplyDeleteधन्यवाद प्रिय सखी ।
Deleteशाश्वत सत्य कहा है ।
ReplyDeleteधन्यवाद 🙏
Deleteस्वयं का अस्तित्व बोध की नया जनम है ...
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति है ...
धन्यवाद दिगंबर जी ।
Deleteबहुत ही खूबसूरत और संदेश पूर्ण रचना! 👌👌👌👌👌👏👏👏👏
ReplyDeleteधन्यवाद मनीषा जी ।
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद हिमकर जी ।
Deleteशुभा दी, बिल्कुल सत्य है ये। सही मायने में इंसान का जन्म तब ही होता है जब वो खुद को पहचानता है और खुद के लिए जीता है।
ReplyDeleteधन्यवाद ज्योति ।
Deleteसुंदर कविता
ReplyDeleteधन्यवाद ।
Deleteअस्तित्व बोध हो जाय तो जनम सफल हो जाय।
ReplyDeleteधन्यवाद ।
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