सभी आपस में झगड रहे थे
हम एक वार में किसी का भी
कर सकते हैं काम -तमाम
तभी दीवार पर टंगी बंदूक
इठला कर बोली ..
मुझ -सा दम किसी में नहीं ..
और शब्द .............
पीछे से ,बस ..
हौले -से मुस्कुरा दिए.....।
शुभा मेहता
6th January ,2024
वाह
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सर
Deleteबातों के नश्तर, शब्दों के तीर, ह्रदय देते चीर, करते घाव गंभीर. संक्षिप्त और सच बात. शुभकामना और बधाई !
Deleteबहुत-बहुत धन्यवाद ।
Deleteकमाल का व्यंग ... शब्द की महिमा बहुत है ...
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद दिगंबर जी
ReplyDeleteसच बात.
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ओंकार जी
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब👌👌🙏🙏
बहुत-बहुत धन्यवाद सुधा जी
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