अरे शीर्षक पढ़ कर चौंकिएगा मत । आप कहेगें कि ये भी कोई बात हुई साँस लेने का भी कोई तरीका होता है भला ।वो तो सभी एक तरह से ही लेते है ,इसमें भला सीखने जैसी कया बात है ?
कभी आपने बारीकी से अपनी श्वासलेने की प्रक्रिया का अवलोकन किया है ?
एक गहरा साँस लीजिए और फिर धीरे-धीरे बाहर छोडिये अब देखिये कि साँस लेते समय आपका पेट फूलता है या छाती । और अगर आपका जवाब छाती है तो आप भी गलत तरीके से साँस ले रहे है ।
एक योग शिविर में मैंने यह पद्धति सीखी थी जो मै आप सबके साथ बाँटना चाहूँगी । सबसे पहले गहरे साँस लेने चाहिए । लेते समय पेट फुलाना और छोडते समय अंदर संकोचन करना चाहिए । इस तरह सही तरीके से साँस लेने से अनेक रोगों जैसे अनिद्रा ,त्वचा रोग,मानसिक रोग ,मसल्स रिलेक्सेशन आदि में संपूर्ण स्वस्थता अनुभवी जा सकती है ।
कभी आपने गौर किया है जब छोटा बच्चा साँस लेता है तो उसका पेट ऊपर -नीचे होता है और वह गहरे साँस लेता है पर जैसे -जैसे वह बड़ा होता है ये श्वास छिछरा होता जाता है ।
और ऐसा होने से प्राणवायु कम मिलती है और हार्ट पर अधिक जोर पडता है । और ब्यक्ति अनेक प्रकार के रोगो का शिकार होने लगता है । कहते है कि श्वसन तंत्र ऐसा तंत्र है जिसे हम अपनी इचछानुसार अथवा इच्छा बिना चला सकते हैं । समग्र तंत्र एक खास प्रकार के स्नायुओऔर संवेदन तंत्र से जुड़ा हुआ है । परंतु जागृत मन द्वारा लिए गए श्वासों द्वारा इस समग्र प्रक्रिया पर अच्छा प्रभाव पडता है ।
तो फिर देर किस बात की है आज से ही शुरू हो जाइए ।पीठ के बल लेट जाइये फिर एक हाथ पेट पर रख कर ध्यान पूवर्क गहरी साँस लीजिए व धीरे-धीरे छोडिए । अपना पूरा ध्यान केन्द्रीत कीजिए । शुरू में इस तरह से अभ्यास करें । जीवन में नई आशा का संचार होगा ।
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