आभार प्रदर्शन तब अधिक खूबसूरत होता है ,जब उसे अच्छी तरह अभिव्यक्त किया जाता है और हम अपनी खुशी दूसरों के साथ बाँटते हैं ।
पर अक्सर लोग सोचते हैं मैं आभारी कयों रहूँ ? कुदरत की कृपा से सारी सृष्टि का संचालन होता है ।पर हम कुदरत से कोसों दूर है कया हम कुदरत की इस कृपा का आभार मानते हैं ? पृथ्बी,जल,वायु,अग्नि और आकाश इन पाँच तत्वों से जो हमारा शरीर बना है जिनके सहारे हमारे शरीर का पोषण होता कया कभी हम उनके प्रति अपना आभार प्रदर्शित किया है ? शायद नही । अगर हमें सही में इनका मूल्य समझ आ रहा है तो हमें इनकी कदर करनी होगी ।केवल पेड़ बचाओ ,पानी बचाओ के नारों से का म नहीं चलेगा ,सहीअर्थों में इनकी कीमत जाननी होगी और जब हमारे मन में इन सबके लिए आभार की भावना होगी तो कीमत अपने आप बढेगी ।
आभार प्रदर्शन हमें सकारात्मक, आशावादी व प्रसन्न बनाता है ,हमें जीवन का सुनहरा पहलू देखना सिखाता है । यह हमें वस्तुओं का महत्व सिखाता है ।
जब हम किसी भूखे गरीब को खाना देते हैं तो उसकी आँखों में आभार,खुशी हमें साफ दिखाई देती है कयोंकि भूख का दर्द वही जानता है और महत्व भी ।पर हम कया करते है ।कोई हमारे लिए प्लान करता है ,चीजें खरीदता है फिर खाना बनाता है तब कही जाकर गरम खाने की प्लेट हमारे सामने आती है ,पर हम कया करते है? शिकायतें । ऐसा है या वैसा है ।
जब हम इन सबके प्रति जागरूक हो जाएँगें कि हमें जो मिला है उसके प्रति आभार प्रदर्शित करना जरूरी है । हमारी नींद, हमारे मित्र ,हमारा अच्छा स्वास्थ्य सबके लिए । हम अपने अच्छे स्वस्थ्य की कीमत तभी जानते है जब हम बीमार होते हैं । तो शुरुआत कीजिये इस नियम से " केवल आज के लिये कुदरत की कृपा का आभार " फिर रोज इसे दोहराइये ।
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