कल यानी उनतीस अप्रैल को विश्व नृत्य दिवस के रूप में मनाया जाएगा ।
तो चलिये आज हम भी इस बारे में कुछ बात करते हैं ।
शब्दार्थ की दृष्टि से देखें तो योग अर्थात जोडना होता है और तात्विक दृष्टि से योग अर्थात परमतत्व से मिल जाना ।इसी प्रकार नृत्य का उद्देश्य भी लगभग योग जैसा ही है ।
भारत में रंगमंच पर आने से पूर्व सभी प्रकार के नृत्य मंदिरों में ईश्वर भक्ति के स्वरूप में ही प्रस्तुत किए जाते थे ।
नृत्य में गुरु और प्रार्थना का जितना महत्व है ,योग में भी उतना ही है । जिस प्रकार नृत्य में सिर,गर्दन, आँख, हाथ आदि अंगों का उपयोग विविध प्रकार से किया जाता है उसी प्रकार योग की शुरुआत में यौगिक अंग परिभ्रमण में सिर ,आँख ,हाथ,गर्दन आदि का उपयोग किया जाता है ।
नृत्य की विविध मुद्राएँ आसान की विविध मुद्राओं से साम्य रखती हैं ।
योग और नृत्य द्वारा शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक तंदुरुस्ती प्राप्त की जा सकती है ।
हैप्पी डांस डे ।
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