लगता है जैसे
अभी कल ही की बात हो
माँ का ऊँगली पकड़ चलना सिखाना
बड़े प्यारसे खाना खिलाना
हाथ पकड़ शाला ले जाना
पढ़ाना, लिखाना
बिन पूछे ही जान जाती वो
मेरे मन की सारी बात
माँ..,.जो ठहरी ।
आज जब लगा खाना कुछ बेस्वाद
बोला माँ से -आज कैसा खाना बनाया है
वो धीरे से बोली बेटा अब उम्र हो गई है ना
शायद नज़र कमजोर हो गई है
मैं अवाक् सा देख रहा था उसे
कभी कहा नहीं उसने
पर क्यों न समझ पाया मैं
उसके मन की बात ?
और आज माँ है बहुत बीमार
बैठा हूँ सामने उसके
देख रहे दोनों एकटक
एकदूजे को
आज समझ रहा हूँ
उसके मन की बात
वो सोचे है -अब तो उठा ले ईश्वर
मत बना बोझ
और मैं रहा था सोच -हे ईश्वर
अगले जन्म में
बनाना इन्हें बेटी मेरी
शायद ममता का
थोडा कर्ज तो उतार सकूँ
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