ऑफिस में मित्रों के साथ
लंच टाइम में
जब भी टिफिन
खोलकर बैठती
सबकी नज़रें
मेरे खाने की
ओर ही होती
रोटी,सब्जी
दाल ,चावल
अचार ,पापड
दही ,मिठाई
कितना कुछ ..
साथी कहते , लगता है
माँ बनाती है तुम्हारा टिफिन
तभी इतना स्वाद
होता है खाने में
माँ से जब भी मैं कहती
माँ इतना कुछ
क्यों रखती हो
इतना तो समय भी नहीं होता
इतना खा भी नहीं पाती
माँ हँस कर कहती
सबको खिलाया कर
कहती ,अरे ...
क्यों करती हो इतना काम
पेट के लिए ही न
और मैं निरुत्तर हो जाती
मित्र रोज नई चीज की
. फरमाइश करते
और माँ बडे प्यार से बनाती
साथी कहते बडे नसीबों वाली हो
सच ही तो है
माँ तो बस माँ ही होती है .....!!
माँ को सादर सर्मपित ...
शुभा मेहता
8thMay ,2019
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरूवार 9 मई 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद रविन्द्र जी ।
DeleteMatri diwas par is se acchi aur bhavpravan aur kya ho skta hai Ma hi ma ki saari baatein jaan skti hai ek maa hi hai jo sbhi ko apne bachho samaan prem sneh sur khayal rkhti hai wah bahut hi sunder rachna teri panktiyon me maine bhi maa ko.khaj liya aur uska sneh dulaar sab paa liya bahut bahut ashirwad aur pyaar apni gudiya bahen ko 😘😘😘😘😘💐💐💐💐👍👍👍👍😊😊😊😊😊
ReplyDelete😊😊😊😊
Deleteबेहतरीन रचना सखी 👌👌
ReplyDeleteधन्यवाद ,सखी ।
Deleteबेहद प्यारी रचना ,माँ तो माँ होती हैं ,उसके क्या कहने ,माँ को सादर नमन
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सखी ।
Deleteमाँ तो बस माँ होती है..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ।
बहुत-बहुत धन्यवाद ।
Deleteबहुत सुन्दर रचना सखी
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद सखी ।
Deleteबेहद प्यारी रचना
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