Wednesday, 18 March 2020

संवाद दो पीढियों का ..

सुना है ,मिलावट करते हो ?
क्या मिलाते हो ?किसमें ?
पहले ही क्या कम मिलावट है 
दुनियाँ में............।
तुम ये कौनसा नया धंधा ,
करनें वाले हो मिलावट का 
यहाँ तो जहाँ देखो वहाँ 
मिलावट ही मिलावट है
क्या खाना ,क्या पीना 
बाजार भरे हैं 
इन नकली मिलावटी चीजों से 
यहाँ तक कि इंसान भी ....
उसकी हँसी ,खुशी 
  प्रीत ,प्रेम सब नकली 
  सामने कुछ ,पीछे कुछ और 
    तंग आ गए हैं अब तो ....।
  अरे.....
नहीं......
आप गलत समझ रहे हैं
हम ऐसे मिलावटी नहीं ..
हमने तो ठानी है 
सबको मिलाने की 
प्रेम भाव बढाने की 
द्वेश -हिंसा मिटाने की 
प्रेम .स्नेह की मिलावट 
  सारी धरती पर बढाने की 
  धरती को स्वर्ग बनाने की ..।
क्या कर सकोगे ?
क्यों नही ....
अकेले?
किसी को तो रखना होगा 
पहला कदम 
बहुत कठिन है 
हाँ...पर नामुमकिन तो नहीं ..
क्या आप देगें साथ?
मैं भी चाहती तो बहुत थी
पर डरती थी
शायद हार से 
   हिम्मत नहीं थी ...
पर ,अब नहीं ..
चलो ,बढाओ तुम पहला कदम 
दूसरा कदम मेरा होगा ।

शुभा मेहता 
18th March ,2020


     

28 comments:

  1. Bilkul is milavati ke daur se niklna hoga jahan muskurahat me bhi milavat ho us waqt se hame khud hi niklna hoga aur phla kadam bhi khud ko hi badhana hoga aapki sachai dekh duniya khud b khud aapka hamkadam banegi bahut seedha kataksh aur aeina dikhaya gya hai in panktiyon se aur ek cheshta dikhai deti h bahut accha prayas hai dekhti chal kaarwan e mohhabbat bnegi ye kavita 👏👏👏👏👏💐💐💐💐💐👍👍👍👍👍😊😊😊😊😊

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  2. नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 19 मार्च 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत-बहुत आभार आपका रविन्द्र जी ।

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  3. इस अद्भुत फल की शख्त जरूरत है इस जग को।
    कोई तो उदहारण बने, मिसाल बने।
    उम्दा रचना।
    नई रचना- सर्वोपरि?

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  4. बहुत ज़रूरी है प्रेम में सब को डुबो देने की ...
    दुनिया अपनी अपनी राह हो रही है जो टकराव पैदा कर रही है ...
    अच्छी रचना है ...

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    1. बहुत-बहुत आभार दिगंबर जी।

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  5. सच को व्यक्त करती सटीक रचना
    बहुत सुंदर सृजन
    सादर

    पढ़ें- कोरोना

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ज्योति जी ।

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  6. बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय आँचल

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  7. हमने तो ठानी है
    सबको मिलाने की
    प्रेम भाव बढाने की
    द्वेश -हिंसा मिटाने की
    प्रेम .स्नेह की मिलावट
    सारी धरती पर बढाने की
    धरती को स्वर्ग बनाने की ..।

    बहुत खूब शुभा जी ,इस मिलावट की आज बहुत जरुरत हैं ,सादर नमन

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    1. धन्यवाद प्रिय सखी ।

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  8. बहुत अच्छी प्रस्तुति

    Mere blog par aapka swagat hai.....

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    1. धन्यवाद । जी ,जरूर ।

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  9. यथार्थवादी लेखन दी सुंदर संदेशात्मक सृजन।

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    1. धन्यवाद श्वेता ।

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  10. बहुत सुंदर और सार्थक रचना सखी

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  11. आप गलत समझ रहे हैं
    हम ऐसे मिलावटी नहीं ..
    हमने तो ठानी है
    सबको मिलाने की
    प्रेम भाव बढाने की
    द्वेश -हिंसा मिटाने की
    प्रेम .स्नेह की मिलावट
    सारी धरती पर बढाने की
    धरती को स्वर्ग बनाने की ..।
    काश ऐसी ही मिलावट हो .....
    बहुत सुन्दर सार्थक बेहतरीन सृजन
    वाह!!!

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सुधा जी ।

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  12. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    २३ मार्च २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. बहुत-बहुत आभार श्वेता ।

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  13. वाह! बहुत ही सुंदर और सार्थक सृजन सखी शुभा जी।बधाई आपको।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सखी ।

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    2. बहुत-बहुत आभार सखी ।

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  14. बेहतरीन सृजन शुभा जी

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    1. धन्यवाद उर्मिला जी ।

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    2. धन्यवाद उर्मिला जी ।

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