देखो ,दिल वाला साबुन
महकता -सा ......
जैसे ही चेहरे पर लगाया
एक बडा़ -सा बुलबुला बना
उसमें तेरा अक्स दिखा
प्यारा -सा ....
फिर खेलने लगी मैं
उस बुलबुले से .
फूटा ....और कितने सारे
छोटे-छोटे बुलबुले
सभी में तू दिखाई दी
कित्ती सारी
छोटी -सी ,प्यारी सी
मुस्कुरा रही थी
मुझे देखकर
मैं भी टकटकी लगाए
देखे जा रही थी
फिर धीरे -धीरे
फूट गए सब बुलबुले ,
और तू फिर समा गई
मेरे दिल में ...
शुभा मेहता
28 th feb .2021