मैं ..हिन्दी ...
कौन?????
इतना पूछकर
कुछ किशोरों का दल
पुनः व्यस्त हुआ बातों में
और मैं ..चुपचाप खडी
डूब गई उनकी बातों में ।
अपने ही देश में
हाल देख अपना
रोना -सा आ गया
कुछ शब्द मेरे थे
कुछ अजनबी से थे
लगा जैसे शब्दों कई खिचड़ी -सी
पक रही हो ..।
अरे ,मेरा तो सौंदर्य ही खत्म हो गया
कितनी सभ्य, अलंकारों से सजी थी
क्या हाल बना दिया ।
मेरी यही कामना है ..
प्रार्थना है ....
निज देश में मान दो ,
सम्मान दो ...
बनाओ मुझे ताकत अपनी
मैं तो आपके मन की भाषा हूँ
प्रेम की भाषा हूँ
क्या दोगे अपना प्रेम ?
शुभा मेहता
15th September ,2022