Friday, 16 September 2022

मैं ...हिंदी .




मैं ..हिन्दी ...

कौन?????
इतना पूछकर  
कुछ किशोरों का दल 
पुनः व्यस्त हुआ  बातों में 
और मैं ..चुपचाप  खडी 
डूब गई  उनकी बातों में ।
अपने ही देश में 
 हाल देख अपना 
   रोना -सा आ गया 
   कुछ शब्द  मेरे थे 
    कुछ अजनबी से थे 
     लगा जैसे शब्दों कई खिचड़ी -सी 
      पक रही हो ..।
      अरे ,मेरा तो सौंदर्य  ही खत्म  हो गया 
       कितनी सभ्य, अलंकारों से सजी थी 
       क्या हाल बना दिया ।
       मेरी यही कामना है ..
       प्रार्थना है ....
        निज देश में मान दो ,
        सम्मान  दो ...
         बनाओ मुझे ताकत  अपनी 
          मैं तो आपके मन की भाषा हूँ  
            प्रेम  की भाषा हूँ  
              क्या दोगे अपना प्रेम  ?

शुभा मेहता 

15th September  ,2022