इन पंछियों से सीखो कुछ ..
कैसे कुछ दिन बाद ही ,
जब जान जाते हैं
कि हो गए सक्षम
दे देते हैं नन्हें बच्चों को
खुला आसमान ..
क्या पता है हमें
कि आते होगें
ये बच्चे कभी
मिलने ....
तो फिर हम क्यों
इतने तन्हा
इतने उदास
इंतजार करते
आने का उनके
सीखो ना ....
पंछियों से ...
क्या इनके पास दिल होता है
पता नही
हाँ ....इतना पता है
इनके पास फोन नहीं होता
इनके कान नहीं तरसते होंगे ना
फोन की घंटी सुनने को ...
शायद भूले हुए पंछियों का
फोन आ जाए ......
शुभा मेहता
22thDec ,2023
सच है |
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सर ।
ReplyDeleteवाह बहुत ख़ूब ! भूले हुए पंछी हमारे दिल के फ़ोन की घंटी तो बजाते हैं लेकिन हम फ़ोन उठा नहीं पाते हैं.
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद गोपेश जी ।
ReplyDeleteप्रकृति से सीखना चाहें तो वह हर बात से सिखा रही है
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद अनीता जी
Deleteआहा ... पंछियों के माध्यम से मन का लेखा जोखा ... बहुत खूब ...
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद दिगंबर जी
Deleteसुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ओंकार जी
Deleteबहुत सुन्दर सृजन शुभा जी ! नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सखी मीना जी
Deleteबहुत अच्छी प्रस्तुति,,, नव वर्ष मंगलमय हो,,,
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद कविता जी
Deleteवाह शुभा जी बहुत अर्थपूर्ण गहरी कविता . पता नहीं किसका और क्यों इन्तज़ार किया जाता है अपने होने का यकीन दिलाने के लिये . बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सखी
Deleteसुंदर प्रस्तुति , नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद मनोज जी
Deleteबहुत सुंदर सृजन
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सुधा जी
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद भारती जी
ReplyDeleteशायद भूले हुए पंछियों का
ReplyDeleteफोन आ जाए ......
सुंदर रचना
सादर