Saturday, 23 December 2023

पंखी ....

सब कहते हैं 
इन पंछियों से सीखो कुछ ..
कैसे कुछ दिन बाद  ही ,
जब जान जाते हैं 
 कि हो गए  सक्षम 
   दे देते हैं नन्हें बच्चों को 
  खुला आसमान ..
   क्या पता है हमें 
 कि आते होगें 
 ये बच्चे कभी 
 मिलने ....
   तो फिर हम क्यों 
    इतने तन्हा 
     इतने उदास 
       इंतजार  करते 
        आने का उनके 
        सीखो ना ....
         पंछियों से ...
          क्या इनके पास दिल होता है 
             पता नही 
           हाँ ....इतना पता है 
           इनके पास  फोन नहीं होता 
             इनके कान नहीं तरसते  होंगे ना 
                फोन की घंटी सुनने को ...
                   शायद भूले हुए  पंछियों  का 
                      फोन आ जाए  ......

शुभा मेहता 
22thDec ,2023
    
   

22 comments:

  1. बहुत-बहुत धन्यवाद सर ।

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  2. वाह बहुत ख़ूब ! भूले हुए पंछी हमारे दिल के फ़ोन की घंटी तो बजाते हैं लेकिन हम फ़ोन उठा नहीं पाते हैं.

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  3. बहुत-बहुत धन्यवाद गोपेश जी ।

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  4. प्रकृति से सीखना चाहें तो वह हर बात से सिखा रही है

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद अनीता जी

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  5. आहा ... पंछियों के माध्यम से मन का लेखा जोखा ... बहुत खूब ...

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद दिगंबर जी

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  6. सुंदर रचना

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ओंकार जी

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  7. बहुत सुन्दर सृजन शुभा जी ! नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सखी मीना जी

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  8. बहुत अच्छी प्रस्तुति,,, नव वर्ष मंगलमय हो,,,

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद कविता जी

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  9. वाह शुभा जी बहुत अर्थपूर्ण गहरी कविता . पता नहीं किसका और क्यों इन्तज़ार किया जाता है अपने होने का यकीन दिलाने के लिये . बहुत खूब

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सखी

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  10. सुंदर प्रस्तुति , नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद मनोज जी

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  11. बहुत सुंदर सृजन

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  12. बहुत-बहुत धन्यवाद सुधा जी

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  13. बहुत-बहुत धन्यवाद भारती जी

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  14. शायद भूले हुए पंछियों का
    फोन आ जाए ......
    सुंदर रचना
    सादर

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