नही..... आज कुछ नहीं लिखा
महिला दिवस के उपलक्ष में
नारी ,शक्ति है ,दुर्गा है
सहनशीलता की मूरत है
कुछ नहीं लिखा
बस पढ़ रही हूँ
कुछ ऐसे ही .. संदेश
कुछ महिलाओं को
अपनी सफलता पर
मिले हुए सम्मान
कुछ गरीब .....
महिलाओं पर उतारी गई फिल्में
कैसे जीती हैं वो
ये दिखाया गया
सच...
पर होगा क्या इससे
प्रश्न यही व्यथित कर रहा
क्या इससे सुधरेगी
उनकी दशा ?
सदियों से सब ऐसे ही
है चल रहा
अगले वर्ष फिर
दोहराया जाएगा
यही सभी कुछ
पर शायद
रहेगा सब
जस का तस..।
शुभा मेहता
8th March ,2017
Yathasthiti bani rhegi bhashan lmbe chaure lgte rhenge garib ke ghar aana jaana lga rhega par unki maali halat jas ki tas rhegi bahut sahi chitran aur kataksh kiske liye se jyada paini jyada nukili bhasha atyant sahaj kahin koi klisht shabd nhi jeeti rah bahut jiye aur khoob likhe bahut pyaar apni bahena ko 😊😊💐💐💐💐💐💐😊😊
ReplyDeleteWish you a Happy Women's Day Shubha ji. Very nice poem with the great thought that the right way to celebrate such a day is to change some lives - not just talk. Great poem indeed.
ReplyDeleteThanku so much Sanjay ji..
Deleteसही कहा शुभा जी,स्तिथियाँ तुरन्त बदलने वाली नहीं हैं ,बीज अंकुरित होने में समय लगता है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चित्रित किया है आपने नारी दिवस को ।
Dhanyvad Ritu ji .beej ankurit ho bhi jaye to uske bahut jatan se palna padega ..nari ko nari ka sath dena hoga ....
DeleteBhut sundar rachna h keep posting.................keep visiting on....https://kahanikikitab.blogspot.in
ReplyDeleteBahut -bahut dhanyvad..
ReplyDeleteबहुत खूब। नारी शक्ति को समर्पित बहुत ही सशक्त रचना की प्रस्तुति। बहुत पसंद आई।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति।
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