Monday, 30 March 2020

नैया और पतवार

एक दिन छिड गई बहस 
 नैया और पतवार में ,
  नैया ने अभी-अभी ही 
  वृक्ष में से पाया था 
    रूप नया ...
     सुंदर रंगों से रंगी गई थी 
      सुन अपनी तारीफें 
       फूल गई थी कुछ गर्व से 
       पानी में अपना प्रतिबिंब देख 
        बढ गया और  अभिमान । 
        जैसे ही नाविक ने थामी पतवार 
         ये क्या ....इत्ती पुरानी  ,गंदी पतवार 
          नहीं ,नहीं मुझे नहीं चाहिये तुम्हारा साथ 
            पतवार धीरे से बोली 
             सुनो नैया बिन मेरे कैसे करोगी 
              सागर पार .......
                पर नैया को कहाँ कुछ सुनना था 
                बोली मैं तो चली लहरों के साथ 
                  कुछ दूर जाकर 
                   घबराई ,चिल्लाई 
                     सुनो पतवार 
                       आकर बचाओ
                       मेरा तुम्हारा तो सदा का है साथ 
                        तुम बिन नहीं होगी नैया पार ।

   शुभा मेहता 
31st , March ,2020
  

Thursday, 26 March 2020

काजल

सखी री.....
मेरा काजल बह-बह जाए 
कब से बैठी आस लगाए 
बैरी पिया ना आए ....
  सखी री ......
   ना चिठिया ना कोई संदेसा 
   इतना काहे... तरसाए ---
     सखी री  ...
     जाऊँ कहाँ कुछ समझ न आए 
      उन बिन चैन ना आए 
        सखी री .....
         तारे गिनती रहूँ रात भर 
          चाँदनी अगन लगाए
           सखी री ......
       शुभा मेहता 
27th ,March ,2020
 
    
     

Saturday, 21 March 2020

22 मार्च ..दृश्य मेरी बालकनी से ...

आज आकाश कुछ ज्यादा ही 
नीला-सा ,साफ -सा लगा 
मानों रंगरेज नें.....
  अभी रंग कर भेजा हो 
   सुबह -सुबह वो 
   ठक-ठक की ,
  लयबद्ध आवाज़..,
  जो मेरे घर के 
    तीनों ओर बन रही 
     बहुमंजिली इमारतों से 
     आया करती है 
     जिससे अक्सर मेरी 
      नींद खुला करती है ,
       गायब थी ......।
      कबूतरों की गुटर-गूं...
       इतनी जोर से 
       शायद पहली बार सुनी थी 
      साथ ही दूर कहीं से 
      बंदरों की हूप-हूप और 
       मोर भी बोला .....!
      आसपास के घरों में 
     जहाँ पालतू कुत्ते हैं 
      जोर-जोर से भोंक रहे हैं 
       शायद रोज की तरह 
       घूमने जाना चाह रहे हैं ।
      सड़कें सूनी ...
      अच्छा लगा 
     इस कठिन समय में
     सब मिलकर इस 
     'कोरोना'नामक दैत्य से लडें
      पहली बार साथ 'लडने'की बात है 😊
       स्वस्थ रहें ,मिलकर इस दैत्य को 
     पछाडऩे का संकल्प करें ।

  शुभा मेहता 
22thMarch ,2020
     
     



Wednesday, 18 March 2020

संवाद दो पीढियों का ..

सुना है ,मिलावट करते हो ?
क्या मिलाते हो ?किसमें ?
पहले ही क्या कम मिलावट है 
दुनियाँ में............।
तुम ये कौनसा नया धंधा ,
करनें वाले हो मिलावट का 
यहाँ तो जहाँ देखो वहाँ 
मिलावट ही मिलावट है
क्या खाना ,क्या पीना 
बाजार भरे हैं 
इन नकली मिलावटी चीजों से 
यहाँ तक कि इंसान भी ....
उसकी हँसी ,खुशी 
  प्रीत ,प्रेम सब नकली 
  सामने कुछ ,पीछे कुछ और 
    तंग आ गए हैं अब तो ....।
  अरे.....
नहीं......
आप गलत समझ रहे हैं
हम ऐसे मिलावटी नहीं ..
हमने तो ठानी है 
सबको मिलाने की 
प्रेम भाव बढाने की 
द्वेश -हिंसा मिटाने की 
प्रेम .स्नेह की मिलावट 
  सारी धरती पर बढाने की 
  धरती को स्वर्ग बनाने की ..।
क्या कर सकोगे ?
क्यों नही ....
अकेले?
किसी को तो रखना होगा 
पहला कदम 
बहुत कठिन है 
हाँ...पर नामुमकिन तो नहीं ..
क्या आप देगें साथ?
मैं भी चाहती तो बहुत थी
पर डरती थी
शायद हार से 
   हिम्मत नहीं थी ...
पर ,अब नहीं ..
चलो ,बढाओ तुम पहला कदम 
दूसरा कदम मेरा होगा ।

शुभा मेहता 
18th March ,2020