Thursday, 13 May 2021

जिंदगी

जिंदगी है क्या ...
कुछ ख्वाब ,कुछ हकीकत 
कभी कुछ है ,कभी कुछ
कभी सरल नदी सी बहती जाए 
  कलकल ....छलछल ....
  कभी पवन के झोंंको -सी 
    मीठी -मदमाती खुशबू लिए 
      कभी हँसाए ,कभी रुलाए 
      कभी-कभी कुछ पाठ पढाए 
      अच्छा-बुरा ,खारा-तीखा 
       तरह -तरह के स्वाद चखाए 
       नए-नए लोगों से मिलाए 
        अच्छे-अच्छे दोस्त बनाए 
        मिलना और बिछुडना दोनों 
       संग -संग चलता जाए ....
      जिंदगी  .....
     कभी -कभी कोई अजनबी 
     बन जाए सबसे प्यारा दोस्त 
      और कभी अपने भी बन जाते 
       मानों कोई गै़र .....।
      जिंदगी .......।

   शुभा मेहता 
  13th May ,2021
   

20 comments:

  1. बहुत सुंदर

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद ओंकार जी ।

      Delete
  2. मिलना और बिछुडना दोनों संग-संग चलता जाए। ज़िंदगी की हक़ीक़त यही है शुभा जी। अच्छी कविता के लिए अभिनंदन आपका।

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद जितेन्द्र जी ।

      Delete
  3. Replies
    1. धन्यवाद शिवम् जी ।

      Delete
  4. This is really fantastic website list and I have bookmark you site to come again and again. Please read mine as well. birthday countdown quotes

    ReplyDelete
    Replies
    1. Thanks a lot for visiting 🙏sure will definitely read 👍

      Delete
  5. कभी -कभी कोई अजनबी
    बन जाए सबसे प्यारा दोस्त
    और कभी अपने भी बन जाते
    मानों कोई गै़र .....।
    सच ये मी जिन्दगी का फलसफा है...
    बहुत ही सुन्दर रचना...
    वाह!!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सुधा जी ।

      Delete
  6. जिंदगी की सच्चाई व्यक्त करती बहुत सुंदर रचना, शुभा दी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद ज्योति ।

      Delete
  7. बहुत बहुत सुन्दर लिखा है आपने जिन्दगी के विषय मैं । मैंने भी बहुत दिन पहले एक मुक्तक लिखा था जिन्दगी पर । जिन्दगी एक दर्द भी है गीत भी है जिन्दगी एक हार भी है जीत भी है तुम इसे यदि प्यार का एक साज समझो तो ये सौ खुशियों भरा संगीत भी है ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आलोक जी ।

      Delete
  8. जिंदगी की सुन्दर परिभाषा दी है आपने शुभा जी। मस्त रचना है आपकी 👌👌👌🙏❤️❤️💐🎈

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद प्रिय सखी ।

      Delete
  9. सही कहा, यह जीवन ख़्वाब की वह अविरल बहती धारा है जो हक़ीक़त की चट्टानों से टकराती रहती है, किंतु कभी रूकती नहीं!

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद विश्व मोहन जी ।

      Delete