Wednesday, 7 April 2021

अस्तित्व

स्वयं के अस्तित्व का 
जिस क्षण हो जाए ज्ञान ,
करने लगो जिस क्षण 
स्वयं से बेपनाह 
 मुहब्बत ....
  रखने लगो जब ,
अपना ख्याल .......
  समझो उसी 
क्षण हुआ है  
  तुम्हारा जनम 
 फिर चाहे कितने ही वर्ष 
  गुजार दिए हों ..
   सबका ध्यान रखते हुए 
  अपने सपनों ,अपनी खुशियों का  
बलिदान करके ....।
 मना लेना जन्मदिन 
  उसी क्षण ....
  हो अस्तित्व बोध जब ।

शुभा मेहता 
8th April ,2021
    
   
  


   

58 comments:

  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 09-04-2021) को
    " वोल्गा से गंगा" (चर्चा अंक- 4031)
    पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद.


    "मीना भारद्वाज"

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    1. जी ,जरूर । बहुत बहुत धन्यवाद सखी मीना जी ।

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  2. आप ठीक कह रही हैं शुभा जी।

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    1. धन्यवाद जितेन्द्र जी ।

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  3. बहुत ही सुंदर लिखा है आपने।

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  4. वाह! पते की बात, शुभा जी। बहुत सुंदर।

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    1. धन्यवाद विश्वमोहन जी ।

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  5. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ९ अप्रैल २०२१ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद श्वेता ।

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  6. बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  7. जब जान लो कि तुम नहीं हो तुम बिन
    उस दिन ही समझना कि तुम्हारा है जन्मदिन ।

    वाह , बहुत सुंदर और गहन बात कही ।। बेहतरीन अभिव्यक्ति ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद संगीता जी ।

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    1. धन्यवाद आदरणीय ।

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  9. खुद को जान लिया तो सबको जान लिया, हम स्वयं से ही अनजाने रहते हैं और दूसरों को जानने का दम भरते हैं

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद अनीता जी ।

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    1. धन्यवाद सखी ।

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    2. बहुत सुंदर और सार्थक संदेश पूर्ण रचना । जन्म दिन मनाने का निमंत्रण हृदय से स्वीकार है,आपको हार्दिक शुभकामनाएं एवम नमन ।

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  11. शुभाजी,कभी समय मिले तो मेरे गीत के ब्लॉग पर भी पधारें,आपको लोकगीत रुचिकर लगेंगे,आपके आगमन की आशा में जिज्ञासा ।

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  12. बहुत सुन्दर कहा!

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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    2. बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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    3. बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  13. सत्य कहा आपने

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    1. बहुत -बहुत धन्यवाद ।

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  14. स्वयं के अस्तित्व का
    जिस क्षण हो जाए ज्ञान ,
    करने लगो जिस क्षण
    स्वयं से बेपनाह
    मुहब्बत ....
    रखने लगो जब ,
    अपना ख्याल .......
    समझो उसी
    क्षण हुआ है
    तुम्हारा जनम
    बहुत सटीक और सुंदर प्रस्तुति, शुभा दी।

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    1. धन्यवाद ज्योति ।

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  15. सुन्दर प्रस्तुति

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    1. धन्यवाद ओंकार जी ।

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  16. बहुत सुंदर लेखन...।बधाई...

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  17. बेहतरीन रचना सखी 👌

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  19. लाजवाब अभिव्यक्ति।

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    1. धन्यवाद पम्मी जी ।

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  20. क्या बात है शुभा जी! अपने आप को पहचानना ही असली अस्तित्व बोध है। खूब बढिया लिखा आपने हार्दिक शुभकामनाएं और स्नेह 🌹🌹🙏🙏❤🌹🌹😃

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    1. धन्यवाद प्रिय सखी ।

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  21. शाश्वत सत्य कहा है ।

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  22. स्वयं का अस्तित्व बोध की नया जनम है ...
    सुन्दर अभिव्यक्ति है ...

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    1. धन्यवाद दिगंबर जी ।

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  23. बहुत ही खूबसूरत और संदेश पूर्ण रचना! 👌👌👌👌👌👏👏👏👏

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    1. धन्यवाद मनीषा जी ।

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    1. धन्यवाद हिमकर जी ।

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  25. शुभा दी, बिल्कुल सत्य है ये। सही मायने में इंसान का जन्म तब ही होता है जब वो खुद को पहचानता है और खुद के लिए जीता है।

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    1. धन्यवाद ज्योति ।

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  26. अस्तित्व बोध हो जाय तो जनम सफल हो जाय।

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