हां ,कट ही रही है
ककडी, गाजर ,प्याज ,मूली के सलाद सी
कभी ककडी कडवी सी निकल जाती है
कभी जिंदगी मूली -सी चरपरी हो जाती है
कभी गाजर -सी मीठी
कभी-कभी प्याज के आँसू दे जाती
यही तो है जिंदगी ...।
शुभा मेहता
23April,2023
सही कहा शुभा जी ! कट ही रही है जिंदगी
ReplyDeleteकभी खुशी कभी गमों के साथ ।
बहुत-बहुत धन्यवाद सुधा जी ।
ReplyDeleteकम-से-कम मेरी तो आपकी इस बात से पूर्ण सहमति है। अब ये न पूछ कैसे कटे ज़िन्दगी के दिन; जैसे गुज़ार पाए, गुज़ारे चले गए।
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