Thursday, 30 December 2021

नया साल ....

नया सवेरा 
नई किरन
नया दिन
नई मुस्कान
नई उम्मीदें
नए विचार 
नई शुरुआत 
करते हैं चलो आज .....
गुजर गया सो गुजर गया 
आगे की बात करते हैं आज .....
चलिए नववर्ष की शुरुआत करते हैं एक अच्छा इंसान बनकर ,मेरा मतलब दिखनें में अच्छा से नहीं है ,इंसान जो दिल से अच्छा हो ,दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाए । नववर्ष में ऐसा कुछ करें कि हमारी वजह से दूसरों को खुशी मिले ।
इसके लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं करना ....
*प्यारी सी मुस्कान दें ।
*किसी का बुरा मत कीजिये ।
* धन से मदद न कर सकें तो कोई बात नहीं पर दूसरों की तकलीफ में उनका साथ दें 
*तोल -मोल कर बोलें ।अपनें शब्दों से किसी का दिल न दुखाएं ।
ऐसे लोगों का साथ सभी को अच्छा लगता है ।
एक बार करके देखिए ,बहुत अच्छा लगेगा ।
घर में अगर बुजुर्ग हैं तो कुछ समय उनके साथ बातें कीजिए ।
अगर आप बुजुर्ग हैं तो घर के बच्चों की छोटी-छोटी बातों में मदद करें ।
अपनापन ,परवाह ,आदर और थोड़ा समय 
वह दौलत है जो हमारे अपने हमसे चाहते हैं ।

सभी ब्लॉगर मित्रों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँँ💐💐💐💐💐💐

Monday, 18 October 2021

समय की कीमत

समय एक नदी के समान है ,आप बहते हुए उस पानी को दोबारा नहीं छू सकते क्योंकि धारा जो बह गई वो वापस नहीं आएगी ।
  जिंदगी हमें सिखाती है समय का सदुपयोग करना ,समय हमें सिखाता है जिंदगी की कीमत करना । 
  जैसे गलत चीजों म़े पैसा लगाने से वो डूब जाता है ,वैसे ही गलत कामों में समय बर्बाद करने से असफलता ही मिलती है ।
  समय की कद्र करो ,वो आपकी कद्र करेगा  समय तो सभी के पास समान है ,फिर क्यों कोई सफल और कोई असफल । समय का सही इस्तेमाल करें । हर काम की पूर्व तैयारी करें । हर काम के लिए समय को विभाजित करें और उसपर अमल करें । आपको ही निश्चित करना होगा कि किस काम को कितना समय देना है ।
  सही वक्त का इंतजार मत करो ,ये खुद से नहीं आता ,उसे लाना पडता है ।
  जिसने समय की कीमत जान ली ,उसकी जिंदगी सँवर गई ।

शुभा मेहता 
15th Oct, 2021
https://youtu.be/OSDWi4P04Os

Thursday, 14 October 2021

स्वयं से प्यार करो (self love)

अगर चाहते हैं जीवन में कुछ करना ,सबके प्रिय बनना तो अपनाओ इन सभी बातों को ......
खुलकर जियो 
 वर्तमान में जियो 
 खुशियाँ फैलाओ और 
 स्वयं से प्यार करो ।
 स्वयं से बडा हमसफर कोई नहीं होता ।
  खुद को भी कभी महसूस कर लिया करो.....
   कूछ रौनकें खुद से भी हुआ करती हैं ।
   नहीं बनना मुझे किसी और के जैसा ,क्योंकि रब ने मुझ जैसा किसी और को बनाया ही नहीं ।
 Self love स्वार्थ नहीं है ।यह जरुरी है ।स्वयं का सम्मान करो , ध्यान रखो ,अपने आप से प्यार करना सीखो ।अपनी जरूरतों को समझो ।आप अपना ध्यान रखेगें तभी दूसरों का ध्यान रख पाएंगे ।आप जैसे हैं वैसे ही स्वयं को स्वीकार करेंं ।इससे क्या होगा छोटी-मोटी बिमारियाँँ तो ऐसे ही ठीक हो जाएगीं ।क्योंकि कोई टेन्शन ही नहीं रहेगी आप स्वयं को स्वीकार जो कर चुके होंगे ।
हमें लगता है हम परफेक्ट नहीं है ,और दूसरों से तुलना करने लगते । अरे भाई परफेक्ट तो कोई नहीं होता ।सोचते रहते हैं देखो हम तो कुछ कर ही नहीं पाते और इन सभी नकारात्मक विचारों का ढेर दिमाग में जमा कर लेते हैं ।
ऐसा कभी मत करो ।सोचें कि हम कौनसा काम सबसे अच्छा कर सकते हैं ,फिर कठिन परिश्रम कीजिए सफलता जरूर मिलेगी । 
कईबार माता-पिता अपने बच्चों की हर बात में कमियाँ निकालते हैं ।दूसरो के बच्चों के साथ उनकी तुलना करते रहते ..कहते हैं ..देखो उनका बच्चा कितना होशियार है और तुम किसी काम के नही ।इससे क्या होता है बच्चों में नकारात्मकता की भावना आ जाती है उनका कोन्फिडेन्स खत्म हो जाता है जो ताउम्र उनके साथ रहता है ।ऐसा कभी मत कीजिए । हमेशा उनका हौसला बढाइये । कहिये तुम जैसा कोई नहीं। उन्हें भी सिखाइये खुद से प्यार करना ,जीवन में खूब  आगे जाएंगे ।

शुभा मेहता 
14th Oct 2021
  

Wednesday, 28 July 2021

लोग ..

बचपन में माँ एक कहानी सुनाया करती थी ,सात पूँछ वाले चूहे की ....एक चूहा था उसके सात पूँछ थी ,अब भला सात पूँछवाला चूहा किसने देखा (शायद अपवाद स्वरूप कहीं हो भी ) 
लेकिन मैं कहानी सुनते -सुनते कल्पना जरूर करती । चूहा जब भी उसके मित्रों के साथ खेलने जाता तो उसके सभी दोस्त उसे छेड़ते ...चूहा भाई सात पुँछडिया रे ...और बेचारा चूहा बहुत रोता एक दिन उसने अपनी माँ से कहा ,माँ ..माँ

एक पूँछ कटवा ल़ूँ ?
माँ भी बूटे के दुख से दुखी थी ,बोली जा बेटा कटवा ले ..अब दोस्त छःपूँछ कह कर चिढाने लगे और इस तरह उसने एक -एक करके ,इतना दर्द सहकर अपनी छः पूँछ कटवा ली । 
बचपन में समझ नहीं आती थी कहानी के द्वारा क्या कहा जा रहा है ,तब तो केवल काल्पनिक चूहा बनता और शायद उसका दर्द भी कुछ-कुछ समझ आता ।
असली मतलब तो जिंदगी के उतार -चढाव झेलकर ही समझ आया ...कुछ तो लोग कहेगे .....लोगों का काम है कहना ....।
और हम भी लोगो की परवाह करके अपनी जिंदगी खुलकर नहीं जीते ।हर बात में सोचते हैं लोग क्या कहेगें ।

जब एक उम्र बीतने के बाद यानि पचासी (50)..के बाद जब कोई नारी ,अपने पंख फडफडा कर उड़ने की कोशिश करती है ,अपने अधूरे सपनों को पूरा करना चाहती है तो 'लोग'कहते हैं ,देखो ..अब इस उम्र में पंख लग गए है। 
अरे भाई ,पंख तो पहले से ही थे पर समेट रखा था उन्हें अपनी जिम्मेदारियों के लिहाफ में ।
और अब जब फुरसत के कुछ लम्हे मिले हैं तो क्यों ना फैलाए पंखों को ...  , अपने लिए कुछ करने को । लोगों का क्या उनका तो काम ही है कुछ न कुछ कहने का । तू उड ...खुलकर ,जी ले कुछ लम्हे अपने लिए भी ....।

शुभा मेहता 
29th July ,2021
  

Sunday, 25 July 2021

दोस्त

दोस्त शब्द सुनते ही सबसे पहले हमारे मन में जो भाव पैदा होते है ,बहुत ही मधुर होते हैंं ।दोस्त यानि एक ऐसा व्यक्ति जो हमेशा हमारा साथ दे ,दुख में सुख में ,हानि में लाभ में । एक बहुत ही प्यारा सा रिश्ता होता है दोस्ती का ।
  पर क्या सही में ऐसा दोस्त हमें मिल पाता है ,या फिर हम स्वयं ऐसे दोस्त बन पाते हैं । मेरी समझ से तो कुछ ही भाग्यशाली लोग होते होगे जिन्हें सच्चा दोस्त मिला होता है । 
 एक बच्चा ढाई-तीन साल की उम्र से ही खेलने के लिए कोई साथी चाहने लगता है ..हम उम्र साथियों के साथ उसे अच्छा लगता है और यहीं से शुरुआत होती है दोस्ती की । इस उम्र में वे एक दूसरे के खिलौनों से खेलते है ,खिलौने छीनते  भी हैं ,रोते हैं ,फिर थोडी देर में चुप होकर फिर से खेलने लगते हैं । न कोई ईर्ष्या न कोई द्वेष बस अपनी मस्ती में रहते हैँ ।
  उसके बाद जब बच्चे स्कूल जाने लगते हैं ,उन्हें नए दोस्त मिलते है ।वहाँ वो साथ मिलकर खेलना सीखते हैं ,मिल बाँटकर खाना सीखते हैं । जैसे -जैसे बडे होते हैं देखा देखी शुरु हो जाती है ।
 इसका अच्छा उसका खराब ,मेराभी वैसा होना चाहिए ..बस ज्यों ज्यों उम्र बढती है आपस में स्पर्धा-प्रतिस्पर्धा शुरु हो जाती है ।इसमें माँ -पिताजी का भी सहयोग रहता है क्यों कि बच्चों के सामने वो लोग ही कहते है ,बेटा हम तुम्हें उससे भी अच्छा लाकर देगें । 
पर कुछ दोस्त जीवन में ऐसे भी मिलते है जो ता-उम्र सच्चे मन से दोस्ती निभाते है  ,दोस्त के दुख में दुखी और सुख में सुखी होते हैं । 
  आजकल तो सोशल मीडिया की दोस्ती भी खूब चल रही है । इसके द्वारा भी हमें बहुत अच्छे दोस्त मिल जाते हैं कभी-कभी । सही है न जिनसे हम कभी मिले भी ना हो वो कितने प्यारे और सच्चे दोस्त बन जाते हैं । 
अंत में यही कहूँगी दोस्ती का रिश्ता बडा प्यारा -सा रिश्ता होता है अगर कोई सच्चा दोस्त मिले तो उसकी कद्र जरूर करो । 
 
 

   दोस्तों की दोस्ती से 
है रोशन जहाँ मेरा 
साथ हँसना ..
साथ रोना ...
 हर कदम पर ,
 साथ देना ,
 चाहे दुख हो 
 या हो सुख 
  साथ मिलकर 
  है बिताना 
  सबसे प्यारा 
  रिश्ता है ये 
  दोस्त ,दोस्ती 
  याराना .....।
   शुभा मेहता 
   26th July ,2021
  
 

 

Thursday, 8 July 2021

माटी

बरसात ..आहा.....
नन्ही -नन्ही फुहारों का 
  वो स्पर्श ...कितना अद्भुत !!
  मन आनंद मगन 
    माटी की खुशबू ..
     अपनी ही खुशबू 
       तू भी माटी ,
      मैं भी माटी ,
      मिल जाना है 
      तुझमें ही 
       फिर काहे इतना झमेला 
       तेरा -मेरा ,इसका -उसका 
       सब माया का खेला ।

शुभा मेहता 
9th July ,2021
      
  


Friday, 4 June 2021

मेरा बगीचा

मेरे घर  में था 
एक सुं...दर बगीचा 
   तरह-तरह के फूलों से लदा 
    गुलाब ,जूही ,गेंदा ,चमेली 
     मोगरा और सूरजमुखी ,गुडहल,
      मेरी छोटी -सी ,प्यारी -सी बिटिया को 
       बहुत भाते थे फूल सूरजमुखी ।
         एक ओर चीकू का वृक्ष  था 
      अनार था ,नारियल का भी था एक पेड
      दूसरी ओर कुछ सब्जियां थी 
        भिंडी ,बेंगन ,मिर्ची ,सेम 
         हाँ धनिया ,टमाटर भी तो था 
          एक ओर था पेड बादाम का 
            दोपहर होते ही बच्चों की टोली 
             पहुँच जाती तोडने बादाम ..
               दिन भर बस यही 
              जरा -सी आँख लगती 
             और कर जाते सब 
              तहस-नहस ...
           अब ,न वो बगीचा है 
          और न वो बच्चे ..
          अब तो बस ,बडे शहर की 
          उँची -उँची इमारतें ..
           दूर-दूर तक बस इमारतें...
            भागती -दौडती जिंदगी ...
            
शुभा मेहता 
10May ,2023
                
          
       
         
      

गुफ्तुगू बूढे बरगद से ..

वो बूढा़ बरगद 
ना जाने कितने बर्षों से 
  खडा है ...
  मुझे बहुत पसंद है 
  उसकी डालों पर बैठी 
   चिडियों की चहचहाहट 
    उसकी जटाओं से ,
  लटककर झूलना 
     बचपन में यही खेला करते थे 
      छुपाछुपी ..........
      आज भी जब भी 
       गुजरती हूँ यहाँ से ,
        कुछ देर रुकती हूँ 
        अच्छा लगता है 
         लगता है मानों वृक्ष की डालियाँ 
         करीब आकर कहना चाहती हैं कुछ 
          कान में .........लगता है जैसे कह रही हों 
            देख .सदियों से खडा हूँ यहाँ 
             अकेला .......
             बहुत कुछ देखा है इन बूढी आँखों नें 
               खेलते बच्चे मेरे चारो ओर, 
             पक्षियों का कलरव 
          मोर का नर्तन ..।
फिर वो बूढा़ बरगद 
धीर -से फुसफुसाया मेरे कान में 
  देखना ..कल आएगे 
    कुछ नेता ,कुछ अभिनेता 
     कुछ तथकथित समाजसेवक 
      लेकर कुछ पौधे ,फावडे 
         साथ में कुछ पत्रकार और 
          फोटोग्राफर भी .....
          लगाएंगे कुछ वृक्ष 
           ढेरों फोटो लिए जाएंगे 
            अखबारों मे छपेगें किस्से 
            वृक्षारोपण के .......
            उसके बाद कोई ना झाँकेगा 
             कि इन लगाए गए वृक्षों का 
             क्या भविष्य हुआ ....।
                

शुभा मेहता 
4th ,June ,2021
              

              
          
           
               
                   
                  
         
  

                
      
           

Sunday, 23 May 2021

कोरोना जंग

आज पंद्रह दिन की लडाई के बाद ,लग रहा है मानों कोई बहुत बडी जंग जीत कर आए हैं ..अरे...रे..घबराइये मत ,मैं किसी अस्त्र -शस्त्र वाली जंग की बात नहीं कर रही दोस्तों ...मैं तो उस भयानक दैत्य से जंग की बात कर रही हूँ ...नहीं पहचाना ? चलिये मैं ही बता देती हूँ ...आज से पंद्रह दिन पहले मैं सपरिवार कोविड पोजिटिव पाई गई .....न कहीं गई बाहर गई ,सभी तरह की सावधानी बरतने के वावजूद भी पकड ही लिया इसने । ईश्वर कृपा और आप सभी की दुआओं से अब सब ठीक है । 
  यहाँ मैं सभी को बताना चाहूँगी कि वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद ये कोरोना अधिक तकलीफ नहीं देता ,इसलिए सभी से निवेदन करूँगी कि वैक्सीन अवश्य लें । अगर हमारी तरह फिर भी आ गए चपेट में तो समय से दवाइयाँ लें ,खूब पानी पिएँ ,फल खाएँ ,पौष्टिक खुराक लें । 
  पहले मैं अपनी एक कविता जो मैंने 24April,2020 को लिखी थी साँझा करना चाहूँगी ......
सबक

इस बंधनकाल नें
बहुत कुछ हमको सिखा दिया 
कैसे जीवन जीना है 
 पाठ यह पढा़ दिया 
 भूल चले थे 
 जिन बातों को 
 याद उन्हें दिला दिया ।
 मिलजुल कर कैसे 
 रहना है .......
 काम बाँट कैसे करना है ,
 जीवन मंत्र 
 सिखला दिया..,
 हँसते -गाते ,खेल -खेल में
 काम खत्म हो जाता है ।

  समय मिला तो 
  पापा-मम्मी ,बच्चों के संग 
  खेल रहे हैं ..
   कभी खेलें आँख -मिचौनी 
    कोई छुपे ,सब ढूँढ रहे है ।

     लूडो -कैरम सोच रहे हैं
      अपने भी दिन अच्छे आए 
      धूल जमी थी ,साफ हो गई
      कैसे चमक गए सारे ।
      घर का भोजन हो गया 'इन'
      जंक फूड को 'आउट'किया 
      कितना स्वाद 'माँ'के हाथों में
      यह हमनें पहचान लिया ।
      एक बात और सीखी है ,
      वो भी तो बतलानी है ...
        खाना उतना ही लेना है
        जितना हमको खाना है 
        एक-एक दानें की कीमत 
        जान गए हैं अब हम सब ।
         छोटी-छोटी काम की बातें 
         बच्चे भी हैं सीख रहे ।

      शुभा मेहता 
          
 काफी समय तक बचने के बाद घेर ही लिया इसने । एक बातजो इस काल में मैंने सीखी ,बताना चाहूँगी .....
   कैसा महसूस करते होगे वो लोग जिन्हें हमारा समाज अस्पृश्य मान कर कितना अभद्र व्यवहार करते हैंं , शायद ये रोग हमारे दिल ,दिमाग का कचरा साफ करने आया है । 

शुभा मेहता 
23rd May ,2021



  
 

 
  

  

Thursday, 13 May 2021

जिंदगी

जिंदगी है क्या ...
कुछ ख्वाब ,कुछ हकीकत 
कभी कुछ है ,कभी कुछ
कभी सरल नदी सी बहती जाए 
  कलकल ....छलछल ....
  कभी पवन के झोंंको -सी 
    मीठी -मदमाती खुशबू लिए 
      कभी हँसाए ,कभी रुलाए 
      कभी-कभी कुछ पाठ पढाए 
      अच्छा-बुरा ,खारा-तीखा 
       तरह -तरह के स्वाद चखाए 
       नए-नए लोगों से मिलाए 
        अच्छे-अच्छे दोस्त बनाए 
        मिलना और बिछुडना दोनों 
       संग -संग चलता जाए ....
      जिंदगी  .....
     कभी -कभी कोई अजनबी 
     बन जाए सबसे प्यारा दोस्त 
      और कभी अपने भी बन जाते 
       मानों कोई गै़र .....।
      जिंदगी .......।

   शुभा मेहता 
  13th May ,2021
   

Wednesday, 7 April 2021

अस्तित्व

स्वयं के अस्तित्व का 
जिस क्षण हो जाए ज्ञान ,
करने लगो जिस क्षण 
स्वयं से बेपनाह 
 मुहब्बत ....
  रखने लगो जब ,
अपना ख्याल .......
  समझो उसी 
क्षण हुआ है  
  तुम्हारा जनम 
 फिर चाहे कितने ही वर्ष 
  गुजार दिए हों ..
   सबका ध्यान रखते हुए 
  अपने सपनों ,अपनी खुशियों का  
बलिदान करके ....।
 मना लेना जन्मदिन 
  उसी क्षण ....
  हो अस्तित्व बोध जब ।

शुभा मेहता 
8th April ,2021
    
   
  


   

Saturday, 20 March 2021

मेरी कविता

आज 21 मार्च ,विश्व कविता दिवस .....
मेरे सभी ब्लोगर मित्रों को शुभकामनाएँँ 💐💐💐💐💐💐🙏🏻🙏🏻
 वैसे मैं कोई कवियत्री नहीं हूँ ,हाँ कभी -कभी मन के भावों को सरल शब्दों में अभिव्यक्त कर लेती हूँ और आप सभी साथियों का स्नेह भाव पा लेती हूँ । हृदय से आप सभी का धन्यवाद 🙏🏻

 दिल नें कहा ,चल आज कुछ सृजन कर 
शब्दों नेंं कहा ,हमें जल्दी बाहर निकालो 
अपने विचारों को कागज पर उतारो 
वरना बहुत देर हो जाएगी और 
 हम हमेशा की तरह दिमाग से निकल कर 
कभी दाल और कभी सब्जी में मसालों के साथ
हो जाएगें जज़्ब............।
या फिर परात में उछल -कूद करते 
गुँथ जाएगें आटे के साथ 
सिक जाएंगे रोटियों के साथ 
 नहीं...................
इतना जुल्म मत करना 
अभी ले लो हाथ कलम 
कर डालो सृजन । 
  शुभा मेहता 
21 March ,2021








"इयर फोन"

 ये इयर फोन भी बडे काम की चीज़ है ।
(मेरे लिए तो )
सुबह उठते ही मेडिटेशन करने के काम आता है । भजन सुनने में भी मैं इसी का प्रयोग करती हू्ँ ,इसका पहला फायदा यह है कि आसपास कोई डिस्टर्ब नहीं होता ।
हाँ ... उपयोग से पहले मैं इसकी उलझन को सुलझा लेती हूँ और सीख लेती हूँ कि अपने विचारों को ,व्यवहार को सुलझा हुआ रखना चाहिए ,दिन बहुत अच्छा गुजरता है ।
  पर संभल कर हाँ ,लिमिट में उपयोग करती हूँ वरना कानों को खतरा । 

 शुभा मेहता 
20th March ,2021
 

Thursday, 4 March 2021

सबक ( संस्मरण)

सबक तो सबक ही है चाहे वो बडों द्वारा बच्चों को दिया जाए अथवा बच्चों द्वारा बड़ों को ,मेरा ऐसा मानना है कि किसी के भी द्वारा दी गई सही सलाह को अवश्य मानना चाहिए ।
  बात उन दिनों की है जब में लाखेरी (राजस्थान)मेंं डी ए वी स्कूल मेंं कार्यरत थी । कक्षा छ: की कक्षा अध्यापिका थी । हमारे स्कूल का नियम था कि रोज प्रार्थना सभा के बाद अपनी-अपनी कक्षा के विद्यार्थियों के नाखून और दाँतों का निरीक्षण किया जाए । यदि किसी के नाखून बढे हुए हों या दाँत गन्दे हों तो उन्हें हिदायत दी जाती ,फिर भी अगर विद्यार्थी ध्यान न दे तो प्रिन्सिपल साहब के पास ले जाया जाता । पर सभी विद्यार्थी नियम का पालन करते थे । 

मैं जब भी अपनी कक्षा के बच्चों का निरिक्षण करती थी ,तो एक.बच्चा जो पढने में काफी होशियार था ,कनखियों से मेरे हाथों कीओर ऐसे देखता मानो कुछ कहना चाह रहा हो ,शायद उसकी शिक्षिका थी इसलिए नहीं कह पा यहा था । 

बात दरअसल यह थी कि मुझे अपने नाखून बढा कर ,स़ुंंदर नेलपेंट लगाकर रखना बहुत पसंद था ।पर उसकी वो निगाहें मुझे बहुत कुछ  सिखा गई ।घर जाकर सबसे पहला काम नाखून काटने का किया गया । 

और अगले दिन वो बस मुझे देखकर हौले से मुस्कुरा दिया ।

उस बच्चे ने मुझे जीवन का बडा पाठ सिखा दिया। तब से आज तक उसकी दी हुई सीख को ध्यान रखती हूँ किसी को टोकने से पहले स्वयं अपना निरिक्षण अवश्य करना चाहिए ।

शुभा मेहता 

4th March ,2021



 


Saturday, 27 February 2021

दिल वाला साबुन ..

देखो ,दिल वाला साबुन 
महकता -सा ......
जैसे ही चेहरे पर लगाया 
एक बडा़ -सा बुलबुला बना 
उसमें तेरा अक्स दिखा 
प्यारा -सा ....
फिर खेलने लगी मैं 
उस बुलबुले से .
फूटा ....और कितने सारे 
छोटे-छोटे बुलबुले 
सभी में तू दिखाई दी 
कित्ती सारी 
छोटी -सी ,प्यारी सी 
मुस्कुरा रही थी 
मुझे देखकर 
मैं भी टकटकी लगाए 
देखे जा रही थी 
फिर धीरे -धीरे 
फूट गए सब बुलबुले ,
और तू फिर समा गई 
मेरे दिल में ...

शुभा मेहता 
28 th feb .2021