Thursday, 30 December 2021
नया साल ....
Monday, 18 October 2021
समय की कीमत
Thursday, 14 October 2021
स्वयं से प्यार करो (self love)
Wednesday, 28 July 2021
लोग ..
Sunday, 25 July 2021
दोस्त
Thursday, 8 July 2021
माटी
Friday, 4 June 2021
मेरा बगीचा
गुफ्तुगू बूढे बरगद से ..
Sunday, 23 May 2021
कोरोना जंग
Thursday, 13 May 2021
जिंदगी
Wednesday, 7 April 2021
अस्तित्व
Saturday, 20 March 2021
मेरी कविता
"इयर फोन"
Thursday, 4 March 2021
सबक ( संस्मरण)
सबक तो सबक ही है चाहे वो बडों द्वारा बच्चों को दिया जाए अथवा बच्चों द्वारा बड़ों को ,मेरा ऐसा मानना है कि किसी के भी द्वारा दी गई सही सलाह को अवश्य मानना चाहिए ।
बात उन दिनों की है जब में लाखेरी (राजस्थान)मेंं डी ए वी स्कूल मेंं कार्यरत थी । कक्षा छ: की कक्षा अध्यापिका थी । हमारे स्कूल का नियम था कि रोज प्रार्थना सभा के बाद अपनी-अपनी कक्षा के विद्यार्थियों के नाखून और दाँतों का निरीक्षण किया जाए । यदि किसी के नाखून बढे हुए हों या दाँत गन्दे हों तो उन्हें हिदायत दी जाती ,फिर भी अगर विद्यार्थी ध्यान न दे तो प्रिन्सिपल साहब के पास ले जाया जाता । पर सभी विद्यार्थी नियम का पालन करते थे ।
मैं जब भी अपनी कक्षा के बच्चों का निरिक्षण करती थी ,तो एक.बच्चा जो पढने में काफी होशियार था ,कनखियों से मेरे हाथों कीओर ऐसे देखता मानो कुछ कहना चाह रहा हो ,शायद उसकी शिक्षिका थी इसलिए नहीं कह पा यहा था ।
बात दरअसल यह थी कि मुझे अपने नाखून बढा कर ,स़ुंंदर नेलपेंट लगाकर रखना बहुत पसंद था ।पर उसकी वो निगाहें मुझे बहुत कुछ सिखा गई ।घर जाकर सबसे पहला काम नाखून काटने का किया गया ।
और अगले दिन वो बस मुझे देखकर हौले से मुस्कुरा दिया ।
उस बच्चे ने मुझे जीवन का बडा पाठ सिखा दिया। तब से आज तक उसकी दी हुई सीख को ध्यान रखती हूँ किसी को टोकने से पहले स्वयं अपना निरिक्षण अवश्य करना चाहिए ।
शुभा मेहता
4th March ,2021