Thursday, 1 May 2025

फितरत

सच ही कहते हैं .....
हम इंसानों की बडी अजीब -सी 
फितरत है ........
 जो होता है , संतोष नहीं 
जो नहीं है ,बस भागे चले जाते हैं 
  उसके पीछे ..
चैन ,सुकून  सब खो बैठते हैं 
  बस होड़ा-होड़ .....।
    अब देखो न...
प्रकृति प्रदत्त चीजें ,
जो मिली हैं उपहार स्वरूप 
अलग-अलग गुणधर्म लिए 
 अब मिर्ची कम तीखी चाहिए 
  मीठे फलों में नमक मिर्च लगाएंगे
 बेचारे करेले को तो नमक लगाकर कर
इस कदर निचोड लेते है 
   कि बेचारा आठ -आठ आँसू रो लेता है 
 उस पर तुर्रा ये कि ,हमारे करेले 
जरा भी कडवे नहीं ...
गुण धर्म से कुछ लेना -देना ही नहीं
आपका क्या कहना है ? 

शुभा मेहता 
3rd May ,2025