Friday 20 April 2018

कदम.

  तेरे नन्हे नन्हे. कदमों से
  जब तू चलती ठुमक ठुम
हो जाता है घर का हर इक कोना रोशन
  मेरी गुडिया कितनी प्यारी
   सबसे न्यारी , राजकुमारी
   बदल गया है मेरा जीवन
  जब से तू है आई  ।
अब तू थोडी़ बडी़ हो रही
रचती कल्पना का संसार
  कभी तू बनना चाहे डॉक्टर
  कभी कहती बनूंगी टीचर
   और कभी बन जाती डांसर
   सारे सपने करना पूरे
   जो भी चाहे बनना प्यारी
   हर क़दम हूँ तेरे साथ
    जीतेगी इक दिन संसार ।

शुभा मेहता
  21 st April 2018
  
  
 

Wednesday 11 April 2018

डर...

डर , ये तो इक हिस्सा है
   जिंदगी का...
   कुछ खोने का .
कुछ न ,पाने का
  एक अहसास है
  जो सभी को होता है
  बहुत नोर्मल चीज है
   जिंदगी की
   डर , नकारात्मकता नही
   सभी को लगता है डर
    किसी न किसी चीज से
    और जो दावे करते है
   न डरने के ..
  कभी छोटी सी छिपकली
   देख जाते हैं डर ..।

शुभा मेहता.