Saturday, 6 December 2025

ख्वाहिशें....

ये मन भी बड़ा अजीब  है 
कितनी ख्वाहिशें पाल लेता है 
   बस उन्मुक्त गगन में 
    अविरत ,विचरण करता रहता है 
   सोच को लगाम लगती ही नहीं 
     ऐसा होता ,वैसा होता 
       क्षण भर में तो कहाँ से कहाँ 
         पहुँच  जाता है ...
         काश ऐसा होता ,काश वैसा होता
          फिर उन ख्वाहिशों को पूरा करनें में
            घिसता रहता है ......
               पता ही नहीं चलता 
                इस आपाधापी में 
                 कब उम्र गुजर जाती है 
                 पा भी लेता है 
                  भौतिक सुविधाएँ...
                  लेकिन कहीं खो जाती है 
                   वो प्यार भरी बातें 
                   वो सुकून ....।


शुभा मेहता 
6th nov ,2025
                 

          

Saturday, 2 August 2025

सेवानिवृति के बाद .....

एक उम्र गुजरने के बाद 
कोई खास काम नहीं ,
नौकरी भी पूरी हुई
 अब कोई रुटीन नही
बस ,सन्नाटा -सा रहता है
 सोचती हूँ ,कौन हूँ मैं 
 घर बनाया ,बगीचा बनाया 
 और खुद को चारदिवारी में खो दिया 
  साइकल से ,स्कूटर 
स्कूटर से कार ......
  तीव्रगति से दौडता जीवन 
  पर अब .............
धीरे-धीरे चलती हूँ 
कहीं गिर न जाऊं ,डरती हूँ 
शहर -शहर घूमी 
अलग -अलग संस्कृतियों को देखा -जाना 
पर अपनें आप से अनजान रही 
आखिर मैं हूँ कौन 
प्रकृति के साथ भी खिलवाड किया 
जाने-अनजाने .....
  पानी का भी भर -भर उपयोग (दुरुपयोग) किया
प्रकृति भी अब पूछ रही है 
  कौन है तू ...?
   अब कुछ कुछ आ रहा है समझ 
     मै तुम हूँ ,और तुम मैं 
      दोनों को एक दूसरे को सम्हालना है 
       धरती को स्वर्ग बनाना है ।
      

शुभा मेहता 
2nd Aug ,2025 
  



Wednesday, 9 July 2025

सही कहा ना....

दुनियाँ का सबसे सरल काम ,
दूसरों की गलतियाँ निकालना 
और सबसे कठिन काम 
अपनी गलती मानना ....।
  शुभा मेहता 
 19th ,July, 2025
  





Thursday, 12 June 2025

कौआ ,बालकनी और मैं

मुंबई शिफ्ट  हुए मुझे दो साल होने को आए । यहाँ देखा कि चील ,कौए बहुत हैं ।सुबह-सुबह बालकनी से देखो तो बहुत सारे मंडराते नजर आ जाते थे । अभी तक जहाँ भी रहे वहाँ कबूतरों की बहुतायत थी वैसे यहाँ कबूतर तो हैं ही ,साथ में कौवे भी । 
  कौवे सुबह-सुबह आकर बालकनी में काँव-काँव करते । 
   हमनें बचपन में कौवों के बारे में कुछ बातें सुनी थी ,जैसे 
 अगर उन्हें उडाओ या भगाओ तो ये पीछा नहीं छोडते ,पहचान लेते हैं ,पता नहीं इस बात में कितनी सच्चाई है ।
  चलिए फिलहाल तो बात हमारी बालकनी और कौवे की चल रही है ,तो भई एक दिन जब सुबह-सुबह कौवे जी का राग शुरू हुआ, मैंने एक पारले-जी का बिस्कुट बालकनी की मुंडेर पर रख दिया । थोडी देर बाद क्या देखती हूँ कौवे जी धीरे-धीरे मुंडेर पर खिसकते हुए आगे बढ़ रहे थे फिर धीरे से बिस्कुट उठाकर ये जा वो जा ...। 
  अब तो उनका रोज का क्रम बन गया ,मुझे भी आनंद आनें लगा ,अब वो ज्यादा काँव-काँव नहीं करते बस दो तीन बार आवाज लगाते है और बिस्कुट पाकर उड़ जाते हैं ।
  एक दिन सुबह-सुबह देखा तो पारले-जी बिस्कुट खत्म हो गया ,मैंनें उसे गुड-डे बिस्कुट दिया ,पर कौवे जी को पसंद नहीं आया बिना लिए ही उड गया बेचारा ,तब समझ आया कि खानें में इनकी भी पसंद-ना -पसंद होती है ।

    शुभा मेहता 
13th June, 2025



 

Thursday, 1 May 2025

फितरत

सच ही कहते हैं .....
हम इंसानों की बडी अजीब -सी 
फितरत है ........
 जो होता है , संतोष नहीं 
जो नहीं है ,बस भागे चले जाते हैं 
  उसके पीछे ..
चैन ,सुकून  सब खो बैठते हैं 
  बस होड़ा-होड़ .....।
    अब देखो न...
प्रकृति प्रदत्त चीजें ,
जो मिली हैं उपहार स्वरूप 
अलग-अलग गुणधर्म लिए 
 अब मिर्ची कम तीखी चाहिए 
  मीठे फलों में नमक मिर्च लगाएंगे
 बेचारे करेले को तो नमक लगाकर कर
इस कदर निचोड लेते है 
   कि बेचारा आठ -आठ आँसू रो लेता है 
 उस पर तुर्रा ये कि ,हमारे करेले 
जरा भी कडवे नहीं ...
गुण धर्म से कुछ लेना -देना ही नहीं
आपका क्या कहना है ? 

शुभा मेहता 
3rd May ,2025


   

Monday, 10 February 2025

बूढ़ा बचपन

झुकी कमर ,कांपते हाथ 
धुंधली आँखों के सौ सवाल 
 खिलौनों की जगह छडी पकडता 
  बूढ़ा बचपन मुस्कुराता हर हाल ।
  कभी धूप में नंगे पाँव दौड़ा 
   आज छांव में ठहर गया 
    जो कल था उछलता  पानी -सा 
    अब चुपचाप  ठहर गया है 
      खेलता दोस्तों संग कभी 
       अब यादों संग खेलता है 


   शुभा मेहता 
   10th February, 2025

  
         

Sunday, 6 October 2024

नेता जी का कुत्ता

नेता जी का कुत्ता 
   अरे भूल हो गई ....
     कुत्ता नहीं  ...
      " टौमी " नाम है उसका 
      साथ में घूमता है गाडी में 
        बड़े ठाठ से  ...
        उस दिन जैसे ही 
         नेता जी के साथ 
         गाडी से उतरा 
          अचानक ही 
          एक आम आदमी को 
   धर -दबोचा ...     
     आम आदमी दर्द से कराहता 
       चिल्लाया .......
        काट खाया रे.. ...  
         नेता जी के कुत्ते नें  . ..
         नेता जी गुर्रा कर बोले 
           किसनें हिम्मत की 
            टौमी को कुत्ता कहने की 
             सा...  . ला कुत्ता कहीं का ....   

       

शुभा मेहता 
  6th Oct, 2024