Monday, 10 February 2025

बूढ़ा बचपन

झुकी कमर ,कांपते हाथ 
धुंधली आँखों के सौ सवाल 
 खिलौनों की जगह छडी पकडता 
  बूढ़ा बचपन मुस्कुराता हर हाल ।
  कभी धूप में नंगे पाँव दौड़ा 
   आज छांव में ठहर गया 
    जो कल था उछलता  पानी -सा 
    अब चुपचाप  ठहर गया है 
      खेलता दोस्तों संग कभी 
       अब यादों संग खेलता है 


   शुभा मेहता 
   10th February, 2025

  
         

Sunday, 6 October 2024

नेता जी का कुत्ता

नेता जी का कुत्ता 
   अरे भूल हो गई ....
     कुत्ता नहीं  ...
      " टौमी " नाम है उसका 
      साथ में घूमता है गाडी में 
        बड़े ठाठ से  ...
        उस दिन जैसे ही 
         नेता जी के साथ 
         गाडी से उतरा 
          अचानक ही 
          एक आम आदमी को 
   धर -दबोचा ...     
     आम आदमी दर्द से कराहता 
       चिल्लाया .......
        काट खाया रे.. ...  
         नेता जी के कुत्ते नें  . ..
         नेता जी गुर्रा कर बोले 
           किसनें हिम्मत की 
            टौमी को कुत्ता कहने की 
             सा...  . ला कुत्ता कहीं का ....   

       

शुभा मेहता 
  6th Oct, 2024

Tuesday, 30 July 2024

बरतन (लघुकथा )

टोकरी में पड़े सारे बरतन जोर -जोर से चिल्ला रहे थे ..
"ये इंसान  भी ना ,क्या समझता है अपनें आप को ...जो भी गुस्सा हो ,जिससे भी गुस्सा हो बिना सोचे समझे हम पर उतार देता है "
 थाली बोली ,"देखो मेरी हालत ..खाना पसंद नहीं आया तो मुझे खानें सहित जमीन पर पटक दिया इतनी जोर......से 
मुड गई  हूँ अब टेबल पर टिक ना पाऊंगी "
 देखो ना इतना छोटा - सा बच्चा ...उसनें तो मुझे पछाड़कर अधमरा कर दिया नन्ही चम्मच बोली ।
   जब  भी बस नहीं चलता ना किसी का किसी पर ...शामत हमारी ही आती है .।

  शुभा मेहता 
30th July, 2024


 

Sunday, 14 July 2024

मसालेदान

"आपके मसालेदान  में कभी मसाले होते ही नहीं ,जब देखो तब खाली" बहू बोली .....। मैं बस मुस्कुरा कर रह गई। 
  मुझे साफ ,चमकता रंग बिरंगे मसालों से सजा मसालेदान बहुत अच्छा लगता था । हर सप्ताह धो कर चमकाती ,फिर मसालों से सजा मसालेदान देखकर बडी खुश होती ।
  मिर्च, धनिया ,हल्दी रंग-बिरंगे मसाले .....
   लेकिन  जब भी अच्छी तरह साफ करती ,मसाले भरती 
अक्सर ही मसालेदान या तो हडबडी में टेढा हो जाता और सारे मसाले आपस में गड्डमड्ड....  .बहुत  बुरा लगता 
 फिर मैंनें भी बस थोड़े-थोड़े मसाले ही निकालने शुरु कर दिए  और फिर ये आदत में शुमार  हो गया ।
   मैं समझती हूँ कई घरों में इस तरह की (बेतुकी)बातें होती होगीं उनका उदभव भी शायद ऐसे ही हुआ होगा ।...अब जिसे असलियत पता न हो उसे तो ये बात बेतुकी ही लगेगी .न कि भला कोई  इतने कम मसाले क्यों निकालेगा ..
है न ......।
  
 

Friday, 26 April 2024

मिसमैच

वाह  रे जिंदगी ..... 
  मिसमैच ......
 
कभी कभी लगता है पूरी जिंदगी ....
 जिंदगी में हर चीज मिसमैच 
 चल रही है ..या कहें रेंग रही है 
   अधिकतर  लोगों की ....
    ढोए जा रहे हैं किसी तरह 
       ये बोझ .........
      अरे , खानें के लिए  सजाई गई 
       थाली में भी जब एक समान 
         ' मैच ' होते बर्तन नहीं होते तो 
            खटकते हैं आँखों में 
              और हम जो हैं 
            ता -उम्र कैसे निभा लेते हैं 
              हाँ चलन है आजकल 
               मिक्स एंड मैच का ....
                  ठीक भी है ..
                   अच्छा लगता है 
                 अलग -अलग रंगों का संयोजन 
                   पर ,मिसमैच ...........  ?
               आपको क्या लगता है ....
                    


शुभा मेहता 
27thApril ,2024
              

    
 
 

Friday, 23 February 2024

सुंदरता

 सुंदरता की दुकानें 
  हर गली -मौहल्ले  में 
    चाहे महिलाएं हो या पुरुष 
     सभी के लिए  
       ब्यूटी पार्लर ......
       लोग जब 
       इन दुकानों से 
 बाहर निकलते हैं 
   तो पहचानें नही जाते 
      बहुत ढूंढी पर 
       मन की सुंदरता की 
         कोई दुकान 
           मिली नहीं ...
           
            
              


 
          

Monday, 5 February 2024

झगडा ....

तीर ,कटार ,बरछी ,भाला 
 सभी आपस में झगड रहे थे 
 हम एक वार में किसी का भी 
  कर सकते हैं काम -तमाम 
  तभी दीवार पर टंगी बंदूक 
   इठला कर बोली ..
    मुझ -सा दम किसी में नहीं ..
     और शब्द .............
      पीछे से ,बस ..
        हौले -से मुस्कुरा दिए.....।

शुभा मेहता 
6th January ,2024