कितनी ख्वाहिशें पाल लेता है
बस उन्मुक्त गगन में
अविरत ,विचरण करता रहता है
सोच को लगाम लगती ही नहीं
ऐसा होता ,वैसा होता
क्षण भर में तो कहाँ से कहाँ
पहुँच जाता है ...
काश ऐसा होता ,काश वैसा होता
फिर उन ख्वाहिशों को पूरा करनें में
घिसता रहता है ......
पता ही नहीं चलता
इस आपाधापी में
कब उम्र गुजर जाती है
पा भी लेता है
भौतिक सुविधाएँ...
लेकिन कहीं खो जाती है
वो प्यार भरी बातें
वो सुकून ....।
शुभा मेहता
6th nov ,2025
सही कहा है अपने ... वक़्त के साथ सभी कुछ होना ही जीवन है ...
ReplyDeleteबहुत -बहुत धन्यवाद
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द सोमवार 08 दिसंबर , 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
ReplyDeleteमेरी रचना को साँझा करनें के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद ...विलंब के लिए क्षमा चाहती हूँ ..पतिदेव अस्पताल में हैं
Deleteवो सुकून ..
ReplyDeleteउसी सुकून की तलाश हर किसी को है
अच्छी रचना
बहुत -बहुत धन्यवाद
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत -बहुत धन्यवाद
Deleteसुंदर
ReplyDeleteबहुत -बहुत धन्यवाद
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ओंकार जी
ReplyDelete