Monday 11 November 2013

अखंड सौभाग्य

अखंड सौभाग्यवती रहो -रमा को दादी की आवाज सुनाई दी। यह तो उनके घर का रोज का क्रम था ,जब भी माँ पूजा करके माँ के पैर छूती दादी उन्हें रोज यही आशीष देती । तब रमा को इसका मतलब पता नहीँ था क्योंकि वह बहुत छोटी थी ,लेकिन उसके बालमन पर यह अंकित हो चुका था कि ये सबसे अच्छा आशीर्वाद है कारण रमा की दादी भी उसकी माँ से बहुत स्नेह रखती थी । उसके पिताजी भी हर काम माँ की सलाह से ही करते थे । कुल मिलाकार उनका परिवार एक खुशहाल परिवार था ।  समय का चक्र चलता रहा ,आज रमा की शादी है ,वह खुश है आज उसे भी वही आशीर्वाद मिल रहा है। रमा विदा होकर ससुराल आ गई है । ससुराल का वातावरण जरा भिन्न है पति उग्र स्वभाव के है । वह ससुराल में हमेशा सबको खुश रखने की कोशिश करती रहती । इस बीच वह दो संतानों की माँ बन चुकी है ।समय  गुजरता रहा
उसके पति अब रिटायर हो चुके हैं ,बच्चे पढ-लिख कर स्थाई हो चुके हैं । पति का स्वभाव उग्र से उग्रतर होता जा रहा है । अब वह मन ही मन सोचती कि उसके बाद कौन इनका ध्यान रखेगा ? रमा अब मजबूर थी  । हे ईश्वर उसकी इतने सालों की प्रार्थना को मत सुनना ।

7 comments:

  1. ओह्ह्ह्ह्ह
    बेहद मार्मिक

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  2. ओह्ह मर्मस्पर्शी कभी कभी आशीर्वाद शाप सा लगने लगता है जीवन की यह कड़वी सच्चाई दिल दहला गयी।
    दी स्पैम चेक करिये न प्लीज बहुत सारी प्रतिक्रिया मिलेगी उसमें।

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  3. गहन भाव ! पत्नी ने तो बर्षो गुजार लिए उग्र स्पवभाव वाले पति के साथ पर और कोई कैसे उनको बर्दाश्त करेगा ये डर ही उसके मन का है, और वो स्वयं सदा सौभाग्यवती रहने वाले आशीर्वाद से कुछ अलग सोच उठती है।
    अप्रतिम भाव।

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  4. ओह !
    उग्र स्वभाव के पति को अपनी किस्मत समझ एक पत्नी किसी तरह रो धोकर झेल भी ले परन्तु पत्नी के सिवा और कौन झेलेगा...
    बहुत ही मार्मिक सृजन ।

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  5. एक पीढ़ी की दर्दनाक कहानी है प्रिय शुभा जी।रमा सरीखी बहुत नारियाँ इसी तरह का शापित जीने को मजबूर हैं।

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  6. मार्मिक सृजन

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  7. स्त्री जीवन में कितनी विसंगतियां है, उन्हीं में एक पति का उग्र होना है, अति चिंतनपूर्ण विषयपर हृदयस्पर्शी लेखन ।

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