कहाँ -कहाँ ना माथा टेका
मंदिर ,मस्जिद ,गुरुद्वारों में
भटके थे .......
बस ,एक पुत्र की आस में
जो तारेगा वंश
सोच तो यही थी ।
कौनसी दुआ फली
नहीं मालूम ..?
पुत्र जन्मा ..
बधाईयाँ ,मंगलगान ..
क्या ,माहौल था ,
चारों ओर बस
खुशी ही खुशी थी
वृद्धाश्रम में बेठी माँ ...
सोच रही थी ..काश
ना होती कबूल
मेरी दुआ ...।
शुभा मेहता
3rd Jan .2020
Wah adbhut kya abhivyakti hai kitna sahi hai kaash na hite vriddhashram aur na hi hote anathalay sundar baageeche ke phool aur maali - maakin sath sath nibhate jeewan sadhuwad inti sundar panktiyon ke liye 👏👏👏👏💐💐💐💐😊😊😊😊
ReplyDeleteसच नालायक पूत से तो बिन औलाद रहना ही भला!
ReplyDeleteलेकिन क्या करें जब बच्चे न हों तो तब भी जाने कितना सुनना पड़ता है दुनियाभर की दुनियावालों से।
मर्मस्पर्शी
बहुत-बहुत आभार कविता जी ।
Deleteसटीक प्रस्तुति
ReplyDeleteधन्यवाद ओंकार जी ।
ReplyDeleteवाह यथार्थ से परिपूर्ण रचना।
ReplyDeleteधन्यवाद सखी ।
Deleteआज का कडुवा सच ...
ReplyDeleteपुत्र मोह देश समाज में कितना गहरा है .... काश ये समझ पाते सब ...
विचारणीय रचना है ...
धन्यवाद दिगंबर जी ।
Deleteबहुत ही भावुक एवं कटु सत्य।
ReplyDeleteबेहतरीन लेखनी।
आपकी लेखनी वाकई बिल्कुल भिन्न है।
बहुत-बहुत धन्यवाद प्रकाश जी ।
Deleteधन्यवाद श्वेता।
ReplyDeleteयही जीवन हैं शुभा दी।बच्चे न हुए तो बाँझ होने का दंश झेलो और बच्चे नालायक निकले तो उम्र भर दुख झेलो। बहुत उम्दा रचना।
ReplyDeleteधन्यवाद ज्योति ।
Deleteआज का सच
ReplyDeleteप्रभावी रचना
धन्यवाद ज्योति जी ।
Deleteहृदय स्पर्शी रचना शुभा जी यथार्थ दर्शन करवाती।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद कुसुम जी ।
Deleteसुंदर रचना.यथार्थ से परिपूर्ण।
ReplyDeleteधन्यवाद भाई ।
Deleteसुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteधन्यवाद सखी ।
Deleteबहुत सुन्दर सटीक सृजन
ReplyDeleteवाह!!!
धन्यवाद सुधा जी ।
Deleteसशक्त एवं सटीक । बहुत सुन्दर सृजन शुभा जी !
ReplyDelete