Wednesday, 19 February 2020

वेदना

मन की वेदना के ,
आँगन में.......
कुछ फूल खिले
अश्रु बूँदों से सिंचित 
 श्वेत से थे कुछ -कुछ 
  रंगहीन .....
  हो गए स्याह नीले-से
  लोगों की दी गई
  चोटों से ..
पड़ गई थी नील....।

शुभा मेहता
20th Feb ,2020

24 comments:

  1. Wah iss baar vedna par hai shayad aur m kah skta hoon ki ye ek apratim adbhut kavita likh daali bahut bdhiya bahut taraf ki vednayen hoti hain par apno ke dwara paayi gyi hriday ko bhishan vyathit krti hain sundar panktiyon se sanjoya asaan sahaj shabdawali se seenchit kavita 👏👏👏💐💐💐👍👍👍😘😘😘

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  2. बहुत सुंदर

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    1. धन्यवाद ओंकार जी ।

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  3. प्रशंसनीय

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (21-02-2020) को "मन का मैल मिटाओ"(चर्चा अंक -3618) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    अनीता लागुरी"अनु"

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय अनु । जरूर आऊँगी 😊

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  5. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (21-02-2020) को "मन का मैल मिटाओ"(चर्चा अंक -3618) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    अनीता लागुरी"अनु"

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  6. बहुत सुंदर सृजन ,सादर नमन आपको शुभा जी

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  7. हो गए स्याह नीले-से
    लोगों की दी गई
    चोटों से ..
    पड़ गई थी नील....।

    बहुत ही सुन्दर सृजन...।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सुधा जी ।

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  8. रहिमन निज मन की व्यथा, मन ही राखो गोय, सुनिए इठलैंहें लोग सब, बाँट न लैहें कोय।
    आपकी रचना में इस तथ्य को समाहित करते हुए आपने एक नई दिशा दे दी है। बहुत-बहुत सुंदर सृजन। बधाई व शुभकामनाएं आदरणीया शुभा जी।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद पुरुषोत्तम जी ।

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  9. हृदयतल से आभारी हूँ । जी ,जरूर आऊँगी ।

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  10. मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद मीना जी ।

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  11. छोटे में अद्भुत कह दिया शुभा जी।
    सराहनीय।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद कुसुम जी ।

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  12. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति सखी

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  13. बेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति शुभा जी ,सादर नमन

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  14. लोगों की दी गई
    चोटों से ..
    पड़ गई थी नील....।

    बहुत ही सुन्दर सृजन...।

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