कौन आया है माँ ?रानी ने पूछा
अरे वो मास्टर जी ,जो बचपन में तुझे पढाने आया करते थे ,भूल गई क्या ? शायद भूल भी गई हो तुम सात साल की होगी तब ।
मास्टर जी का नाम सुनकर रानी की मुट्ठियाँ भिंचने लगी ,क्रोध से चेहरा तमतमा उठा । बोली ..उसे कैसे भूल सकती हूँ ...बदमाश कहीं का । कैसी -कैसी हरकतें करता था ..हमेशा मुझे छूने की कोशिश रहती थी उसकी ,मन करता है जाकर एक जोरदार थप्पड़ रसीद करूँ ..
रानी मन ही मन बुदबुदाई ।
अरे ,कहाँ खो गई रानी ..जा मास्टर जी से मिल ले ,बेचारे कब से तेरा इंतजार कर रहे है ...हुंह ..बेचारे ..ये शराफत का मुखौटा पहने खलनायक है ...।
नहीं मिलना मुझे ..कहना तो चाह रही थी ,पर कह नहीं पाई ..न जाने कौनसा डर है ..न तब कुछ कह पाई ,न अब ।
शुभा मेहता
9th April ,2020
Lekin himmat toh dikgani padegi bachpan me aur aaj ne umar ja aur tajurbe ja kafi faasla hi gya hai aur ye duniya hamesha darne wake ko darati rahegi isliye dushkarmi ko sazaa jaroor milni chahiye sankoch chhodna aur himmat dikhana jaroori hai par is laghukatha ke jariye sanaaj ke kuch swanaam dhanya logo ki mansikta k a accha chitran kiya hai jaise ki masterji kaam.padhana aur niyat dushkarm ki acchi laghukatha hai keep it up 👏👏👏👍👍👍💐💐💐😊😊😊
ReplyDelete😊😊😊😊😊
Deleteशायद नारी मन ऐसे दर को समझ सके ...
ReplyDeleteपर ऐसे लोग किसी भी समय घृणा लायक ही होते हैं ...
धन्यवाद दिगंबर जी ।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
१३ अप्रैल २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत-बहुत धन्यवाद श्वेता ।
Deleteऐसे दरिन्दे समाज में हर तरफ देखने को मिल जाते हैं शुभा जी ,सादर नमन
ReplyDeleteधन्यवाद सखी ।
Deleteबेहतरीन सृजन सखी ! सुंदर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद सखी ।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteगुरु जैसे पवित्र रिश्ते पर लांचन लगाते ऐसे दरिंदे आज समाज को दूषित कर रहे हैं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लघुकथा।
धन्यवाद सुधा जी ।
Deleteमर्मस्पर्शी कहानी मैम।
ReplyDeleteधन्यवाद अजय जी ।
Deleteमर्मस्पर्शी सृजन
ReplyDelete