भाई, ये छोटी सी कविता बिल्कुल सच दिखा देती है। लोग कह तो देते हैं “पैसा हाथ का मैल है”, लेकिन असलियत में बिना पैसे इंसान की इज्ज़त तक कम हो जाती है। हाथ मिलाना छोड़ देना वाली बात बहुत कड़वी है, मगर यही हकीकत है। आजकल रिश्ते भी नोटों के वजन पर तौले जाते हैं।
और अगर हाथ में मैल लगी हो (अर्थात हाथ में पैसा हो) तब भी कोई हाथ मिलाना नहीं चाहेगा, अडानी के पीछे हाथ धोकर पड़े हैं न
ReplyDeleteबात तो सही है सखी आपकी ।
Deleteबहुत सुंदर सृजन
ReplyDeleteयह भी सही है बिना हाथ मैले किये पैसा नहीं मिलता।
ReplyDeleteयह भी सही है कि हाथ मैले किये बिना पैसे नहीं मिलते।
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने! प्रिय मैम
ReplyDeleteसही कहा
ReplyDeleteसही
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ।
Deleteभाई, ये छोटी सी कविता बिल्कुल सच दिखा देती है। लोग कह तो देते हैं “पैसा हाथ का मैल है”, लेकिन असलियत में बिना पैसे इंसान की इज्ज़त तक कम हो जाती है। हाथ मिलाना छोड़ देना वाली बात बहुत कड़वी है, मगर यही हकीकत है। आजकल रिश्ते भी नोटों के वजन पर तौले जाते हैं।
ReplyDelete