जीवन , निरंतर गतिशील
जैसे बहता झरना
वक़्त गुजरता है
पंख लगाकर
रुकता नहीँ किसी के रोके
ये गुजरता वक़्त
देता नहीँ दिखाई
पर , दिखा बहुत कुछ देता है
कुछ चाहा सा,कुछ अनचाहा
करा बहुत कुछ देता है
वो बचपन के प्यारे दिन
खेल कूद गुजारे थे जो
न जाने कब अतीत बन जाते हैं
बस रह जाती है यादें
कुछ खट्टी सी कुछ मीठी सी ।
कुछ धुंधली सी ,कुछ उजली सी ।
जिन्हें याद कर के कभी मुस्कुराते है
कभी गुनगुनाते है
और ये यादें कभी डबडबा देती है आँखों को
यही तो जीवन है
बहता झरना....
Kitna Sahi likha h...mehsoos sabhi karte h par abhivyakt kuch hi kar pate h..
ReplyDeleteKeep it up..
Thanx
Deleteअत्यन्त सुन्दर रचना.
ReplyDeleteधन्यवाद।।
Deleteइसी गतिशीलता मैं ही जीवन की सुंदरता है जैसे एक बहती हुई नदी और रुके हुए तालाब के पानी का फर्क हो, अत्यन्त हृदय स्पर्शी रचना शुभा जी.
ReplyDeleteधन्यवाद ।
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