Tuesday, 1 December 2015

ठहाके

   सब कहते हैं , मैंने भी पढ़ा है
     हँसना अच्छा है सेहत के लिए
       अब सवाल ये है कि
      हँसू तो किस बात पर
         किसके साथ या किस पर
        या अकेले ही कहकहे लगाऊँ
       लोग समझेंगे पगला गई है
      पहले जब देखती थी मैँ
      बगीचों में लोगों को
      झूठे कहकहे लगाते
      सोचती क्यों ये
      झूठे कहकहे लगाते हैं
       क्या सच में ऐसा कुछ नहीं इनके पास
       जो दिल से ठहाके लगा सके
       पर महसूस होता है आज
       झूठे ही सही , ठहाके तो हैं
     हँसना अच्छा है न सेहत के लिए
     अब तो ठान लिया है मैंने भी
       झूठे ही सही ठहाके लगाऊँगी
      अकेले-अकेले  मुस्कुराऊंगी
      माता , पिता ,बंधु , भ्राता
   सभी स्वयं बन जाऊँगी
       क्योंकि ........हँसना.......
      अच्छा है सेहत के लिए ।

7 comments:

  1. Beautiful as always.
    It is pleasure reading your poems.

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  2. सीखा
    मैंनें भी
    हंसना
    बात-बेबात पर
    बेबाक
    हंसते रहती हूूँ
    सादर

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  3. बनी रहे मुस्कराहट , ज़रूरी है आज के दौर में

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  4. स्वागत है मेरे ब्लॉग पर । आभार

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  5. स्वागत है मेरे ब्लॉग पर । आभार

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