सब कहते हैं , मैंने भी पढ़ा है
हँसना अच्छा है सेहत के लिए
अब सवाल ये है कि
हँसू तो किस बात पर
किसके साथ या किस पर
या अकेले ही कहकहे लगाऊँ
लोग समझेंगे पगला गई है
पहले जब देखती थी मैँ
बगीचों में लोगों को
झूठे कहकहे लगाते
सोचती क्यों ये
झूठे कहकहे लगाते हैं
क्या सच में ऐसा कुछ नहीं इनके पास
जो दिल से ठहाके लगा सके
पर महसूस होता है आज
झूठे ही सही , ठहाके तो हैं
हँसना अच्छा है न सेहत के लिए
अब तो ठान लिया है मैंने भी
झूठे ही सही ठहाके लगाऊँगी
अकेले-अकेले मुस्कुराऊंगी
माता , पिता ,बंधु , भ्राता
सभी स्वयं बन जाऊँगी
क्योंकि ........हँसना.......
अच्छा है सेहत के लिए ।
Tuesday, 1 December 2015
ठहाके
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Beautiful as always.
ReplyDeleteIt is pleasure reading your poems.
Thanks sanjayji
ReplyDeleteसीखा
ReplyDeleteमैंनें भी
हंसना
बात-बेबात पर
बेबाक
हंसते रहती हूूँ
सादर
स्वागत है
ReplyDeleteबनी रहे मुस्कराहट , ज़रूरी है आज के दौर में
ReplyDeleteस्वागत है मेरे ब्लॉग पर । आभार
ReplyDeleteस्वागत है मेरे ब्लॉग पर । आभार
ReplyDelete