हिंदी मेरी आन है
हिंदी मेरी शान
मातृ भाषा मेरी
तुझको मेरा प्रणाम
कितनी मीठी
कितनी सहज
शब्दों का भंडार
छन्द -अलंकारों से
सुसज्जित
कभी मुहावरेदार
अभिधा ,लक्षणा व्यन्जना
है इसका अदभुत् संसार
पर आज मेरी
मातृभाषा है कुछ उदास
उसके अपने बच्चे ही
जब कर रहे उसका
तिरस्कार
नहीं रहा उनके जीवन में
माँ हिंदी का स्थान ।
शुभा मेहता
7th Nov , 2016
वाह! अद्भुत शैली गज़ब की भाषा सीधी सच्ची बात बहुत प्रभावशाली शब्दावली। लिख और खूब लिख ।लम्बी उमर मिले । बहुत बहुत प्यार तुझे और तेरी लेखनी को।
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