जीवन चलने का नाम
बहता है झरने की मानिंद
अविरत.......
समय के तो मानों
लगे हो पंख
उडता है
नही करता
किसी का इंतजार
बस समाप्ति की
ओर है ये वर्ष ,फिर....
नया साल है आने वाला
नई खुशियाँ है लाने वाला
कर ले पिछले काम खतम
फिर नईकौड़ी,नया दाव
भुला कर सब
शिकवे गिले
करनी है इक
नई शुरुआत।
शुभा मेहता
23rd Dec ,2016
Excellent poem penned by you poem and singing are your passions o keep writing no more fractures or anyother ailment wish you a very very healthy and a prosperous new year in advance bas tu likhe jaa aur kalam ki dhaar ko aur paina kar love you 🎂🎂💐💐☺☺
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 25 दिसम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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ReplyDeleteHappy new year Shubhaji in advance .
ReplyDeleteHappy new year Shubh ji in advance
ReplyDeleteआपको भी नवबर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
Deleteसुन्दर रचना ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सुशील.जी ।
Deleteसुन्दर अभिव्यक्ति शुभा जी।
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद करुणा जी।
Deleteबहुत धन्यवाद करुणा जी।
Deleteजी उसी चीज़ की आज आवश्यकता है गिले शिकवे भुलाकर समाज में एकता लाने की एक नई पहल शुरू होनी चाहिए एक नई ऊर्जा के साथ ताकि समाज में द्वेष न हो और सही कहा आपने की समय चलता जा रहा है
ReplyDeleteलेकिन देखा जाय तो हम भी कहीं न कहीं समय ही बनकर रह गये हैं ।।
वैसे बेहतरीन रचना ।।
Swagat hai aapka mere blog per Neelendra ji .bahut bahut dhanyvad .
Deleteआमीन ... नए साल की तरह सब कुछ भुला के आगे बढ़ना ही जीवन है ...
ReplyDeleteनव वर्ष मंगलमय हो ...
आभार दिगम्बर जी ।आपको भी नूतनवर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteआभार दिगम्बर जी ।आपको भी नूतनवर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
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