प्रेम ...
खुशबू है
गुलाबों की
जैसे हर इक
पत्ती से आती आवाज
खूबसूरत गुनगुनाहट
प्रेम.....
गीत है
आत्मा का
लयबद्ध नृत्य है
सूर्य,चंन्द्रमा, तारे
सभी का प्रकाश है प्रेम.....
प्रेम .....
भक्ति है ,स्तुति है
कृष्ण है..
मीरा है ,राधा है.....प्रेम .....
शुभा मेहता
28th Nov 2016
It's just beautiful a very different one from your style well done keep it up love you sis bahut hi badhiya likha mazaa aa gya likh aur bhi likh
ReplyDeleteबहुत प्रेमपगी कविता। शुभकामनायें।
ReplyDeleteआभार करुणा जी ।
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