Tuesday, 14 November 2017

बाल दिवस

  मन करता है
  चलो आज मैं ,
फिर छोटा बच्चा बन जाऊँ
खेलूं कूदूं ,नाचूँ ,गाऊँ
  उछल उछल इतराऊँ
   मन करता है...
   खूब हँसूं मैं
    मुक्त स्वरों मेंं
     धमाचौकड़ी मचाऊँ
     फिर माँ दौड़ीदौडी़ आए
    झूठ मू की डाँट लगाए
    मैं पल्लू उसके छुप जाऊँ
   मन करता है .....
     उछल उछल कर चढूं पेड़ पर
     तोड़ कच्ची इमली खाऊँ
    झूलूं बरगद की शाखा पर
    गिरूं अगर तो झट उठ जाऊँ
     मन करता है.....
   
    शुभा मेहता
     15th Nov ,2017
   

28 comments:

  1. बाल सुलभ आचरण निश्छल निष्पाप मन अमिया इमली कुछ भी खाओ न कोई रोकने वाला ना कोई टोकने वाला चोट न भी लगे तो झूठ मूठ का रोना इतराना वाह बहन कितना बड़िया चित्रण किया है आज उम्र के इस पड़ाव में तूने वहीँ पहुँचा दिया ढेर-ढेर प्यार और आशीर्वाद 😊😊😊👏👏👏👏😘😘😘😘

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  2. Wah shubha di Kya likha hai bilkul balak man banakar aapne present kiya hai!!! So nice!! Great!! Regards

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  3. वाह शुभा जी ।
    सच में जीवन में बचपन के आनंद की अनुभूति जैसा कुछ नहीं । ये जीवन चक्र का वो अध्याय है जिसको जीने का बार बार मैन करता है । इतनी सुंदर रचना हेतु मेरा अभिनंदन स्वीकार करें । नमस्कार ।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद राजेश जी ।

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  4. वाह शुभा जी ।
    सच में जीवन में बचपन के आनंद की अनुभूति जैसा कुछ नहीं । ये जीवन चक्र का वो अध्याय है जिसको जीने का बार बार मैन करता है । इतनी सुंदर रचना हेतु मेरा अभिनंदन स्वीकार करें । नमस्कार ।

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  5. Nicely expressed Shubha ji. You reminded many aspects of childhood.

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  6. बहुत ही प्यारी सुन्दर रचना

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  7. बहुत सुंदर रचना शुभा जी।कोमल भाव से भरी हुई👌

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  8. सुंदर रचना शुभा जी। बालसुलभ धमाचौकड़ी की निश्चलता को खोलते हुए. बधाई!!!

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    1. आपका बहुत बहुत आभार सर ।

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  9. अतिसुन्दर लेखनी.
    http://sabhindime.com/childrens-day-wishes-quotes/

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  10. ....बहुत उत्कृष्ट प्रेरक प्रस्तुति...आभार

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  11. अत्यन्त सुन्दर‎ .

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  12. धन्यवाद मीना जी।

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  13. wahh nice line, now convert yoour line in book format with Best hindi Book Publisher India

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  14. बहुत खूब, सुन्दर अभिव्यक्ति

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    1. धन्यवाद हिमकर जी।

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  15. बहुत सुंदर अभव्यक्ति शुभा।

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