कल रात सखि ,
देखा मैंने इक सपना
कि,इस नए साल में
सब हिलमिल गए हैं
झगड़ा ,टंटा कुछ नही
आपस में प्रेम है
न जाति ,न भाषा
की बाधा है कोई
एक स्वर में
गा रहे सब
हम एक हैं
हम एक हैं ...
चारों ओर हरियाली है
बागों में फुलवारी है
बच्चों की किलकारी है
बूढों की मुस्कान
जोश जवानों के
सपनों में
आरक्षण का
नहीं है झंझट
सबको मिला है
उसका हिस्सा
या मजदूर हो
या हो नेता
काश............
न होता ये इक सपना.......
शुभा मेहता
30th December
Sach mein ye ek sapna na hokar yatharth hi hota toh kitna behtar hota nayi subah nayi paudh sab milkar ek baye yug ki rachna karein
ReplyDeleteBahut badhiya bahena ye roj ke jhagde hamari pragati je badhak hain na hi kuch tera aur na hi kuch mera jo bhi hai woh sab hum sabka khushali rahe vyapt naye saal ki bahut bahut agrim bdhai aur shuru krein ek baye josh se ek nayi umang se
ख़ूबसूरत सपना। एक कलाकार का मन सृजन से परिपूर्ण सपने ही देख सकता है। जहां जीवन पूर्णता के साथ खिलखिलाता हुआ नज़र आता है।
ReplyDeleteनव वर्ष की मंगलकामनाएं।
धन्यवाद रविन्द्र जी ।आपको भी नववर्ष की शुभकामनाएं ।
Deleteआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग पर 'सोमवार' ०१ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
बहुत बहु धन्यवाद ध्रुव जी।
Deleteउत्कृष्ट व सराहनीय प्रस्तुति.........
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओ सहित नई पोस्ट पर आपका इंतजार .....
बहुत बहुत धन्यवाद । आपको भी नववर्ष की मंगल कामनाएं।
DeleteHappy New year mam
ReplyDeletePublish your lines in book format with us: http://www.bookbazooka.com/
Thanku sooooo much
Deleteबहुत बढ़िया।
ReplyDeleteधन्यवाद ।
DeleteWish people understand this - the world would be a paradise! Lovely thoughts Shubha Ji. I wish it comes true asap.
ReplyDeleteThanku sooooo much Surajit ji ..
Deleteकितना प्यारा सपना !!!काश ऐसा हो!!!!!
ReplyDeleteवाह!!!
लाजवाब...
बहुत. बहुत धन्यवाद सुधा जी ।
Deleteकाश
ReplyDeleteयह सपना पूरा ही पाता
शुभकामनाएँ
सुंदर और सार्थक सृजन
बहुत- बहुत धन्यवाद ।
DeleteIt is great to think positive in this era of crime and unrest. May your dream come true Shubha.
ReplyDeleteThanku sooooo much sir
Deleteअमीन ...
ReplyDeleteकाश आपका सपना सच हो जाए ...
जबकि आज फिर से जातिवाद का ज़हर जानबूझकर के उभारा जा रहा है ...
धन्यवाद दिगंबर जी ।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार ८ जनवरी२०१८ के ९०३ वें अंक के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत बहु धन्यवाद श्वेता जी ,मेरी रचना को स्थान देने हेतु।
ReplyDeleteलाज़वाब
ReplyDeleteधन्यवाद नीतू जी ।
Deleteशुभा, ईश्वर से प्रार्थना हैं कि काश,ये सपना पूरा हो...
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
धन्यवाद, ज्योति ।
Deleteसपना क्यों - मन की भावना, बहुत सुन्दर संसार की साकार कल्पना .
ReplyDeleteस्वागत हैं आपका मेरे ब्लॉग पर। बहुत बहुत धन्यवाद प्रतिभा जी ।
Deleteएक दिन जरूर पूरा होगा यह सपना....
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