छत के कोने में
बतियाते फूल
सब मिल बगिया को
महकाते फूल
लाल ,पीले ,नीले
सफेद फूल
न गिला ,न शिकवा
न जात ,न पात
न बडा न छोटा
न ऊँचा ,न नीचा
मंदिर हो ,मस्जिद हो
हो गिरजा या चर्च
सभी जगहों पर
पहुँच जाते ये फूल ।
शुभा मेहता
वाह्ह...दी बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति.. 👌👌
ReplyDeleteफूल-सा कोमल मन,त्याग की भावना गर मानव पा जाता,धरा भी होती कितनी पावन,सुरलोक धरती पर आ जाता।
बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता
DeleteAdbhut are manav phoolon se hi shiksha le bhaichare ka nata nibhate wah bahen iss choti si kavita ne man moh liye ise kahte hain abhivyakti pawan pawas man ki sundarta shabdon me dikhai deti hai bahut jiye betaa bahut bahut ashirwad aur pyaar us se kahin jyaada love you sissy 👏👏👏👏😘😘😘😘😘💐💐💐💐
ReplyDelete,😉😉😉😉
DeleteSuch a great line we are Online publisher India invite all author to publish book with us
ReplyDeleteThanks a lof
Deletesundar.
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteबहुत सुन्दर सृजन शुभा जी
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद मीना जी ।
Deleteवह क्या खूब कविता लिखी है दीदी न जात.... न धर्म..... क्या बात क्या बात।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद नितिन भाई ।
Deleteदीदी मैंने भी अपना एक ब्लॉग शुरू किया है कुछ छोटे छोटे लेख लिख रहा हूँ आपके मार्गदर्शन की आवश्यकता है जरूर दीजियेगा। धन्यवाद्
ReplyDeleteअरे वाह!!बहुत अच्छा ब्लॉग है आपका नितिन भाई ।
Delete..... बेहद खूबसूरत
ReplyDeleteधन्यवाद संजय जी ।
Deleteप्रिय शुभा जी -- फूल सी उदार फितरत अगर इंसान को मिल जाती तो बात ही बन जाती | छोटी सी सुंदर रचना में फूलों के सम भाव का अवलोकन करती सूक्ष्म दृष्टि को सलाम !!!!!!!हार्दिक शुभकामनायें आपको --
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद प्रिय रेनू जी ।
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद ।
Deleteसुंदर रचना रंगसाज़
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ।
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सखी ।
Deleteबहुत सुंदर रचना शुभा जी ।
ReplyDeleteफूल ना जाने जात पांत
ना मस्जिद ना शिवालय
सदा एक से खिले रहते
चढ मयत या गूंथ सेहरा।
बहुत बहुत धन्यवाद कुसुम जी ।
Deleteसुंदर
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद ।
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद ।
Deleteबहुत सुन्दर , सार्थक संदेश देती रचना...
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सुधा जी ।
Deleteजरूरी ,श्वेता ।
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