Wednesday 28 November 2018

आवाज़

  लगा जैसे नींद में
  कोई आवाज़ दे रहा है
  आओ ,आओ .....
   अपना अमूल्य मत
    हमें बेचो ,हमें बेचो
     मुँहमाँगे दाम मिलेगें
    अच्छा .........!!
     हमनें कहा ....
      रोजगार मिलेगा ?
       हाँ ,हाँ ..जरूर.?
       बस एक बार सत्ता में
         आ जाने दो ..
         फिलहाल कुछ बेंगनी नोटों से
        काम चलाओ ..
           फिर मुकर गए तो ? हम बोले
            अरे भैया ,भरोसा तो करना पडेगा न ..
             हम भी कुछ सोच में पड गए ..
              नहीं.. नहीं ..ये सौदा नहीं करना हमें
               आखिर देश की खुशहाली का सवाल है
           ऐसे कैसे बिक जाए ....
             हम तो एक सच्चे देशप्रेमी हैं
             तभी घरवाली की जोरों की आवाज़ ने
               हमें जगाया ...
              अजी सुनिए ..
              मुन्ना को तेज़ बुखार है
              डॉक्टर को दिखाना होगा
               दवाइयां लानी होगी
                कुछ फल और दूध भी ...
                  तभी वही आवाज़ फिर से सुनाई दी
                   अपना अमूल्य मत ..
                     हमें बेचो.....
            हमनें थैला उठाया
        घरवाली से बोल
        चलो ..तुम भी
        तुम्हें भी तो वोट देना है ...।

     शुभा मेहता
     29 th Nov 2018
            
                
           

            
 
    

22 comments:

  1. Excellent poem on the current situation of country sab chalava jaisa hai jo bhi aaye jamuni note hare note bas isi se pehchan bnti h koi mulya nhi naitikta ka adbhut kavita likhi h toone taiyaari kar aur bhi bdhiya se 💐💐💐💐😘😘😘😘😘👏👏👏👏👏😊😊😊😊😊

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  2. आसानी से सपने बेच जाते हैं फिर तोड़ जाते हैं ...
    इनकी चालों से बचना ही अच्छा ...

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद दिगंबर जी ।

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  3. बहुत विचारणीय प्रस्तुति...

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  4. Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  5. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक ३ दिसंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  6. मजबूरी में न चाहकर भी ऐसे लोगों का साथ देकर अपना कल भी बरबाद कर देते हैं....
    बहुत सुन्दर सटीक एवं विचारणीय प्रस्तुति...

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सुधा जी ।

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  7. बहुत ही बेहतरीन रचना शुभा जी

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद अनुराधा जी ।

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  8. वाह शुभा जी इतना उत्कृष्ट व्यंग की सच अंतर मन की खामोश आवाज लग रहा है ।
    अप्रतिम रचना।

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  9. वाह बहुत उत्कृष्ट व्यंग सुधा जी, जैसे अंतर मन की खामोश आवाज ।
    अप्रतिम।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद कुसुम जी ।

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  10. बहुत सुंदर और सटिक व्यंग शुभा दी।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ज्योति।

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  11. बहुत कुछ न कहते हुए भी बहुत कुछ कह दिया इन शब्दों में ...

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