वो सुंदर सा आशियाना हमारा
आशियाना क्या ...
साकार सपनें थे हमारे
सींचा था जिसको
प्यार के नीर से
विशाल कमरे
खुला आँगन
आँगन के बीच
एक आम का पेड़
गूँजती थी जिसमें
कोयल की कूक
बच्चों की किलकारियां
मोहल्ले के बच्चे
इसी आँगन में
खेलते ,दौडते
कच्चे आम तोड कर
खाते , फैलाते
वाह!!क्या दिन थे !!
और आज ,वही आशियाना
लगने लगा पुराना
बडे जो हो गए हैं बच्चे
बोलते हैं ,बेच डालो इसे
अब यहाँ कौन है रहने वाला
कैसे समझाएं इन्हें
हमारा तो यही है आशियाना
न छोडेगें इसको
आखिरी साँस तक ...।
Saturday, 5 January 2019
आशियाना
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सुन्दर कविता
ReplyDeleteबहुत -बहुत आभार ।
DeleteBahut hi emotional abhivyakti iss baar bundi jaa kar mujhe bhi yahi ehsaas hua kya adbhut samay thha bahut bhavuk krne waali kvita shabdon ka chayan har baar ki tarah umdaa mithas gholta hua you are simply the best jiyo aur khoob jiyo love you sis 😘😘😘😘👏👏👏👏👍👍👍😊😊😊😊
ReplyDelete☺️☺️☺️☺️
Deleteबहुत सुन्दर शुभाजी !
ReplyDeleteसबके सपने अलग, सबके सपनों के आशियाने अलग ! फिर काहे के गिले-शिक्वे?
बच्चों को अपने-अपने आशियानों के सपने देखने दीजिए, हो सके तो उनके ऐसे सपनों को साकार करने में उनकी मदद कीजिए.
स्वागत है आदरणीय आपका मेरे ब्लॉग पर ।
Deleteआप जैसे गुनीजन के आने से अपार हर्ष हुआ ।
मैं तो बस अपने आसपास जो घटनाएं देखती हूँ बस उन्हें ही शब्द देनें का प्रयास कर लेती हूँ ।
बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता मेरी रचना को शामिल करने के लिए ,दरअसल जब मैंनें रचना लिखी तब 5:30 हो चुके थे और इसलिए मैंने इसे प्रेषित नहीं किया । हृदयतल से आभार ।
ReplyDeleteदिल को छू लेने वाली एक संवेदनशील सुन्दर कविता
ReplyDeleteआज के हालात पर बहुत कुछ सोचने को मजबूर
कर देती है . सार्थक अभिव्यक्ति के लिए बहुत-बहुत बधाई
और शुभकामनाएं.........शुभाजी !
बहुत-बहुत धन्यवाद संजय जी ।
Deleteबहुत सुंदर रचना शुभा जी हम अपनी जीर्ण शीर्ण यादों को भी सहेजे रखना चाहते है क्योंकि वो हमारे आजतक के सफर का सुखद यादों का गवाह होता है।
ReplyDeleteपर हर पीढ़ी का सपना देखने का स्वरूप अलग होता है।
भीगे एहसासों वाली रचना
बहुत-बहुत धन्यवाद कुसुम जी ।
Deleteबचपन की यादों में लिपटी प्यारी रचना....... सादर नमन
ReplyDeleteस्वागत है आपका मेरे ब्लॉग पर ...💐💐💐💐💐💐बहुत -बहुत धन्यवाद कामिनी जी ।
Deleteभावी पीढी के लिए वह घर सिर्फ पुराना घर है क्योंकि उन्हे बड़ों की भावनाओं का अंदाजा नहीं..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...
बहुत-बहुत धन्यवाद सुधा जी ।
Deleteबेहतरीन रचना सखी
ReplyDeleteधन्यवाद प्रिय सखी ।
Deleteअनमोल यादों का खजाना..., बेहद खूबसूरत रचना शुभा जी ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद मीना जी ।
Deleteपीदियों की सोच क अंतर यही तो है ...
ReplyDeleteबच्चे अपना अलग आशियाना बनाना चाहते हैं ... काश की मिल के बन सके सबका आशियाना ...