कब आओगे श्याम तुम ,कब आओगे
बाट निहारें सभी गोपिया
कब आओगे श्याम ....
कितने दिन यूँ बीत गए हैं
छोड हमें क्यों चले गए तुम
खोज खबर भी ना ली ।
दूध -दही से भरी मटुकियाँ
कब फोड़ोगे आकर ?
छीके माखन भी रखा है
भोग लगाओ आकर ।
कब कदंब की डाल बैठकर
मुरली मधुर सुनाओगे
विरह की मारी सभी गोपियाँ
सुध-बुध भूल गई हैं
अब तो होली भी आ गई कान्हा....
आकर रास रचा जाओ
कब आओगे ......।
शुभा मेहता
13th March ,2019
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 14 मार्च 2019 को प्रकाशनार्थ 1336 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
बहुत बहुत धन्यवाद रविन्द्र जी ।
DeleteSarvapratham badhai panch link me prakashit hone ke liye ye geet ka anuroop lgta hai bahut hi accha prayas hai har baar ki tarah shabdavali shandar saral sahaj aur prabhavshali jiyo bahen jiyo holi ke rango ne sarabor hone ko aatur gopiyon ja amantran wah bahut hi khoobsurat 👏👏👏👏👏😘😘😘😘😘😘😘😊😊😊😊
ReplyDeleteवाहह्हह दी अति सुंदर सृजन👌
ReplyDeleteधन्यवाद श्वेता ।
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteस्वागत है आपका मेरे इस छोटे से घर (ब्लॉग) में । आप जैसे मँजे हुए लेखक का आना मेरे लिए बहुत आनंददायक है ।🙏
Deleteवाह सुंदर गुहार लगाई है कान्हा जी को शुभा जी अब तो आना ही होगा।
ReplyDeleteअप्रतिम।
बहुत-बहुत धन्यवाद सखी ।
Deleteविरह की मारी सभी गोपियाँ
ReplyDeleteसुध-बुध भूल गई हैं
अब तो होली भी आ गई कान्हा....
आकर रास रचा जाओ
वाह!!!
बहुत ही सुन्दर रचना...
हृदयतल से आभारी हूँ ,सुधा जी ।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
१८ मार्च २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
जी ,जरूर । बहुत बहुत धन्यवाद.
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद।
Deleteबहुत ही सुंदर ....शुभा जी
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद।
Deleteवाह बेहतरीन रचना सखी 👌👌
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सखी ।
Deleteभावपूर्ण रचना
ReplyDeleteबहुत खूब ....लाजवाब
बहुत-बहुत धन्यवाद।
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सखी ।
Deleteश्याम तो सदा गोपियों के दिल में रहते हैं ... ये उनकी अदा है रूठने की जो कान्हा संग चलती रहती है ... विरह और प्रेम का रंग बाखूबी लिखा है प्रेम के संग ... होली के संग ...
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद दिगंबर जी ।
DeleteWhat a beautiful line..
ReplyDeleteकब आओगे श्याम तुम ,कब आओगे बाट निहारें सभी गोपिया thnx for sharing..