Tuesday, 12 March 2019

कब आओगे श्याम

  कब आओगे श्याम तुम ,कब आओगे
  बाट निहारें सभी गोपिया
   कब आओगे श्याम ....
   कितने दिन यूँ बीत गए हैं
    छोड हमें क्यों चले गए तुम
   खोज खबर भी ना ली ।
    दूध -दही से भरी मटुकियाँ
    कब फोड़ोगे आकर ?
      छीके माखन भी रखा है
       भोग लगाओ आकर ।
        कब कदंब की डाल बैठकर
         मुरली मधुर सुनाओगे
          विरह की मारी सभी गोपियाँ
         सुध-बुध भूल गई हैं
         अब तो होली भी आ गई कान्हा....
          आकर रास रचा जाओ
            कब आओगे ......।
   
   
    शुभा मेहता
   13th March ,2019

26 comments:

  1. नमस्ते,

    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरुवार 14 मार्च 2019 को प्रकाशनार्थ 1336 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद रविन्द्र जी ।

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  2. Sarvapratham badhai panch link me prakashit hone ke liye ye geet ka anuroop lgta hai bahut hi accha prayas hai har baar ki tarah shabdavali shandar saral sahaj aur prabhavshali jiyo bahen jiyo holi ke rango ne sarabor hone ko aatur gopiyon ja amantran wah bahut hi khoobsurat 👏👏👏👏👏😘😘😘😘😘😘😘😊😊😊😊

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  3. वाहह्हह दी अति सुंदर सृजन👌

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    1. धन्यवाद श्वेता ।

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    1. स्वागत है आपका मेरे इस छोटे से घर (ब्लॉग) में । आप जैसे मँजे हुए लेखक का आना मेरे लिए बहुत आनंददायक है ।🙏

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  5. वाह सुंदर गुहार लगाई है कान्हा जी को शुभा जी अब तो आना ही होगा।
    अप्रतिम।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सखी ।

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  6. विरह की मारी सभी गोपियाँ
    सुध-बुध भूल गई हैं
    अब तो होली भी आ गई कान्हा....
    आकर रास रचा जाओ
    वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर रचना...

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    1. हृदयतल से आभारी हूँ ,सुधा जी ।

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  7. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    १८ मार्च २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. जी ,जरूर । बहुत बहुत धन्यवाद.

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  8. सुन्दर रचना

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  9. बहुत ही सुंदर ....शुभा जी

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  10. वाह बेहतरीन रचना सखी 👌👌

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सखी ।

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  11. भावपूर्ण रचना
    बहुत खूब ....लाजवाब

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  12. Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सखी ।

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  13. श्याम तो सदा गोपियों के दिल में रहते हैं ... ये उनकी अदा है रूठने की जो कान्हा संग चलती रहती है ... विरह और प्रेम का रंग बाखूबी लिखा है प्रेम के संग ... होली के संग ...

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद दिगंबर जी ।

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  14. What a beautiful line..
    कब आओगे श्याम तुम ,कब आओगे बाट निहारें सभी गोपिया thnx for sharing..

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