इक सुंदर से कवर वाली किताब
जैसे ही पढने को खोली
मैंं तो उसमें खो ही गई ...
शायद ही कोई ढूँढ पाएगा मुझे
मेरी कुर्सी , मेरा घर
मेरा गाँव .......
सब कुछ पीछे छूट गया
रानी के साथ घूमी-फिरी
राजकुमारी के साथ खेली
राजा के साथ भोजन किया
मछलियों के साथ समुद्र की यात्रा की
कुछ दोस्त भी बने
जिनका दुख-सुख साथ मेंं बाँटा
पर जैसे ही आखिरी पन्ना खत्म हुआ
फिर वही कुर्सी ,वही घर ,वही गांव
पर मन के अंदर रह गई सुनहरी यादें
एक सुकून ........।
शुभा मेहता
3rd july ,2019
Sach me kitabon ki duniya hi aeisi hoti hai ki sab bhula deti hai aur apne sang saer sapate karate huye hame ek alag hi kalpanik duniya ghumati hai bahut hi acchi kavita majaa aa gya jiyo bahut jiyo dher dher pyaar 😘😘😘😘😘💐💐💐💐😊😊33
ReplyDelete,😊😊😊😊😊
Deleteशुभा दी, इसलिए ही तो कहते हैं न कि किताबे इंसान की सबसे अच्छी मित्र होती हैं। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबहुत -बहुत धन्यवाद ज्योति ।
Deleteबहुत-बहुत धन्यवाद ज्योति ।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (06 -07-2019) को '' साक्षरता का अपना ही एक उद्देश्य है " (चर्चा अंक- 3388) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
बहुत-बहुत धन्यवाद सखी अनीता जी ।
Deleteसही कहा किताबे हमारी सबसे अच्छी मित्र है 👌 बेहतरीन रचना
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सखी ।
Deleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ।
Deleteजीवन का सबसे सुंदर शाश्वत सच
ReplyDeleteबहुत खूब
बधाई
बहुत-बहुत धन्यवाद ज्योति जी 🙏
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
८ जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत-बहुत धन्यवाद श्वेता ।
Deleteजितना ज्ञान किताबों से मिलता है वो दोस्त भी नहीं दे पाते। सुंदर प्रस्तुति। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteiwillrocknow.com
बहुत-बहुत धन्यवाद ।
Delete...बहुत अच्छी लगी आपकी सुन्दर शब्द-कृति
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर सृजन सखी
ReplyDeleteसादर