Tuesday, 25 June 2019

बारिश

बारिश की इक बूँद हूँ मैं
छोटी -सी ,नन्ही -सी
एक से एक जब मिल जाएँ
   घट भर जाए ......
    प्यास बुझाए ....
     मुझ बिन सूना
      सब संसार
      जतन करो ..
      जतन से ...।

     शुभा मेहता
     25 th June 2019

17 comments:

  1. एक बूँद भी कई बार अमृत बा के आती है ...
    सुन्दर रचना है ...

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद दिगंबर जी ।

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  2. Wah chutki kavita sandesh bahut bada sochne ko majboor kare abhi abhi me do choti choti kavitayen teri bahut hi gambhir message adbhut dherdher pyaar aur ashirwad 😘😘😘💐💐💐👌👌👍👍😊😊

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  3. Wah chutki kavita sandesh bahut bada sochne ko majboor kare abhi abhi me do choti choti kavitayen teri bahut hi gambhir message adbhut dherdher pyaar aur ashirwad 😘😘😘💐💐💐👌👌👍👍😊😊

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  4. वाह! गागर में सागर।

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    1. बहुत-बहुत आभार विश्वमोहन जी ।

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  5. वाह बेहतरीन रचना

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  6. शुभा दी,यदि हम बारिश के पानी का सही संचय करे तो गर्मी में पानी की कमी ही नहीं होगी। सुंदर प्रस्तूति।

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    1. धन्यवाद ज्योति ।

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  7. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    १जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. बहुत-बहुत आभार श्वेता ।

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  8. वाह छोटी सी रचना गहराई से भरी बहुत सुंदर शुभा जी।
    प्यारी रचना ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय सखी ।

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  9. गागर में सागर जैसा सुन्दर सृजन शुभा जी !!

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