कुछ ख्वाब ,कुछ हकीकत
कभी कुछ है ,कभी कुछ
कभी सरल नदी सी बहती जाए
कलकल ....छलछल ....
कभी पवन के झोंंको -सी
मीठी -मदमाती खुशबू लिए
कभी हँसाए ,कभी रुलाए
कभी-कभी कुछ पाठ पढाए
अच्छा-बुरा ,खारा-तीखा
तरह -तरह के स्वाद चखाए
नए-नए लोगों से मिलाए
अच्छे-अच्छे दोस्त बनाए
मिलना और बिछुडना दोनों
संग -संग चलता जाए ....
जिंदगी .....
कभी -कभी कोई अजनबी
बन जाए सबसे प्यारा दोस्त
और कभी अपने भी बन जाते
मानों कोई गै़र .....।
जिंदगी .......।
शुभा मेहता
13th May ,2021
बहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद ओंकार जी ।
Deleteमिलना और बिछुडना दोनों संग-संग चलता जाए। ज़िंदगी की हक़ीक़त यही है शुभा जी। अच्छी कविता के लिए अभिनंदन आपका।
ReplyDeleteधन्यवाद जितेन्द्र जी ।
Deleteबेहतरीन🌻
ReplyDeleteधन्यवाद शिवम् जी ।
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Deleteकभी -कभी कोई अजनबी
ReplyDeleteबन जाए सबसे प्यारा दोस्त
और कभी अपने भी बन जाते
मानों कोई गै़र .....।
सच ये मी जिन्दगी का फलसफा है...
बहुत ही सुन्दर रचना...
वाह!!!
बहुत-बहुत धन्यवाद सुधा जी ।
Deleteजिंदगी की सच्चाई व्यक्त करती बहुत सुंदर रचना, शुभा दी।
ReplyDeleteधन्यवाद ज्योति ।
Deleteबहुत बहुत सुन्दर लिखा है आपने जिन्दगी के विषय मैं । मैंने भी बहुत दिन पहले एक मुक्तक लिखा था जिन्दगी पर । जिन्दगी एक दर्द भी है गीत भी है जिन्दगी एक हार भी है जीत भी है तुम इसे यदि प्यार का एक साज समझो तो ये सौ खुशियों भरा संगीत भी है ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आलोक जी ।
Deleteजिंदगी की सुन्दर परिभाषा दी है आपने शुभा जी। मस्त रचना है आपकी 👌👌👌🙏❤️❤️💐🎈
ReplyDeleteधन्यवाद प्रिय सखी ।
DeleteNice Poem!!!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteThanku so much
Deleteसही कहा, यह जीवन ख़्वाब की वह अविरल बहती धारा है जो हक़ीक़त की चट्टानों से टकराती रहती है, किंतु कभी रूकती नहीं!
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद विश्व मोहन जी ।
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